अमेरिका में राहुल गांधी के सामने खालिस्तानी नारे लगे भारत, कांग्रेस और इंदिरा गांधी विरोधी नारेबाजी; राहुल ने बंद किया भाषण

मोदी पर तंज, कुछ लोगों को लगता है कि वे भगवान से भी ज्यादा जानते हैं
सैन फ्रैंसिस्को 6 दिन के अमेरिका दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को सैन फ्रैंसिस्को में भारतीयों के बीच स्पीच दी। इस दौरान कुछ खालिस्तान समर्थकों ने भारत, कांग्रेस और इंदिरा गांधी विरोधी नारेबाजी की और खालिस्तान के झंडे लहराए। राहुल को काफी देर तक भाषण रोकना पड़ा। बाद में इन खालिस्तान समर्थकों को पुलिस ने बाहर निकाल दिया।
राहुल ने स्पीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और क्रस्स् पर तंज कसे। कहा- मोदी तो भगवान को भी दुनिया चलाना सिखा देंगे, भगवान भी चौंक जाएंगे कि ये मैंने क्या बना दिया।
2 घंटे क्लियरेंस का इंतजार
राहुल मंगलवार शाम अमेरिका पहुंचे। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने उन्हें रिसीव किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल को इमिग्रेशन क्लियरेंस के लिए एयरपोर्ट पर 2 घंटे इंतजार करना पड़ा। बाद में कहा- मैं अब आम आदमी हूं, सांसद नहीं हूं।
खालिस्तानियों का हंगामा
सैन फ्रांसिस्को में जब राहुल भाषण दे रहे थे तभी खालिस्तान समर्थकों ने नारेबाजी की। खालिस्तान के झंडे लहराए। राहुल के सामने भारत, इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ नारे लगाए। इसके बाद राहुल ने भाषण रोक दिया। बार-बार मोहब्बत की दुकान, मोहब्बत की दुकान… कहते रहे।
राहुल के प्रोग्राम के लिए रजिस्ट्रेशन के जरिए सीटें बुक की गईं थीं। खालिस्तान समर्थक रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही अंदर पहुंचे। झंडे उन्होंने जेब में छिपा रखे थे। राहुल का भाषण शुरू होने के कुछ देर बाद ये लोग नारेबाजी करने लगे।
खालिस्तान समर्थक और प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (स्स्नछ्व) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने राहुल के प्रोग्राम में हुए हंगामे की जिम्मेदारी ली है। पन्नू ने सोशल मीडिया पर कहा- राहुल गांधी जहां-जहां जाएंगे, उनका इसी तरह विरोध किया जाएगा। 22 जून को व्हाइट हाउस आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी विरोध किया जाएगा।
राहुल ने कहा- बीजेपी और आरएसएस के लोग भारत की विविधता के लिए खतरा
राहुल ने सैन फ्रांसिस्को में ‘मोहब्बत की दुकान’ कार्यक्रम को संबोधित किया। इस मौके पर भारतीय समुदाय के कई लोगों ने उनसे सवाल पूछे।

. भारत जोड़ो यात्रा
राहुल गांधी ने कहा, “मैंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल मार्च शुरू किया। यात्रा के दौरान हम जान रहे थे कि राजनीति में किन चीजों का इस्तेमाल होता है। इस तरह की बातचीत और पब्लिक मीटिंग काम नहीं आ रही थीं। सभी चीजें, जिनकी हमें राजनीति में जरूरत थी, उन्हें भाजपा और संघ ने कंट्रोल कर रखा था। लोगों को डराया जा रहा था, एजेंसी का इस्तेमाल किया जा रहा था। हमें राजनीति करने

में मुश्किल आ रही थी। ऐसे में हमने श्रीनगर तक यात्रा का फैसला किया।”

नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान
राहुल बोले, “भारत जोड़ो के दौरान मुझे अहसास हुआ कि देश में क्या चल रहा है। मैं नहीं चल रहा था, भारत मेरे साथ चल रहा था। सभी धर्मों और समुदायों के लोग आ रहे थे, बच्चे आ रहे थे। ऐसा

प्यार का महौल बन रहा था कि किसी को थकान नहीं हो रही थी। सब एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। इसके बाद हमें आइडिया आया कि ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’ खोली जाए।
जिन्हें सब कुछ जानने का भ्रम, वो देश चला रहे
राहुल गांधी ने कहा, “दुनिया इतनी बड़ी है कि कोई यह नहीं कह सकता कि वह सब कुछ जानता है। यह एक बीमारी है कि कुछ लोगों का ग्रुप है, जो यह मानते हैं कि उन्हें सब कुछ पता है। उन्हें लगता है कि वह भगवान से भी ज्यादा जानते हैं। वह भगवान के साथ बैठकर उन्हें बता सकते हैं कि क्या चल रहा है। और साहब हमारे प्रधानमंत्री ऐसा ही एक उदाहरण हैं। मुझे लगता है कि अगर मोदीजी को भगवान के बगल बैठा दिया जाए तो वह भगवान को बताना शुरू कर देंगे कि दुनिया कैसे चलती है। भगवान भी चकित हो जाएंगे कि ये मैंने क्या बना दिया।
भारत में कुछ लोग सब कुछ जानते हैं। वह वैज्ञानिकों को विज्ञान सिखा सकते हैं। इतिहासकारों को हिस्ट्री सिखा सकते हैं। आर्मी को जंग लडऩा और एयरफोर्स को उडऩा सिखा सकते हैं। और असल बात यह है कि उन्हें कुछ भी समझ नहीं है। जिंदगी में आप कुछ भी नहीं सीख सकते हैं, जब तक आप सुनने की आदत नहीं डालते हैं।”

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