नई दिल्ली
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को पूर्णकालिक खेवनहार नहीं मिला। उम्मीद जताई जा रही थी कि CWC मीटिंग में आज तय हो सकता कि नया पार्टी अध्यक्ष कौन होगा। पार्टी के ज्यादातर नेताओं की मांग है कि राहुल गांधी एकबार फिर पार्टी की कमान संभाले मगर राहुल गांधी अध्यक्ष बनने की बात पर कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रहे थे। अब सीडब्ल्यूसी मीटिंग को मई तक टाल दिया गया है। ऐसें में सवाल ये उठने लगा है कि आखिरकार अगर अध्यक्ष राहुल गांधी को ही बनना हो तो फिर क्या जनवरी, क्या फरवरी….उनको पार्टी की कमान सौंप देना चाहिए। मगर इसमें भी एक पेंच है। पेंच ये है कि पार्टी की हालत सब जानते हैं कि कैसी है। बिहार चुनाव में कांग्रेस की हार अभी तक पार्टी को साल रही है। अब नए अध्यक्ष की छवि पार्टी खराब नहीं होना देना चाहती।
पार्टी के खिलाफ पहली आवाज
दशकों तक देश की सत्ता पर काबिज रहने वाली पार्टी आज अपने दौर के सबसे बुरे वक्त से गुजर रही है। कांग्रेस में वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं मगर वो पूर्ण कालिक अध्यक्ष नहीं हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता उनकी कार्यशैली से संतुष्ट नहीं हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय झा ने सबसे पहले खुलकर पार्टी नेतृत्व पर उंगली उठाई थी। उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष की कार्यशैली के ऊपर सवाल खड़े किए थे। इसके तुरंत बाद ही उनको पार्टी से निकाल दिया गया था।
2019 लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद से ही कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे थे मगर तब कोई भी नेता खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर पाते थे। इसके अलावा 2019 लोकसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार का सामना भी करना पड़ा। हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया गया। हालांकि उनको बहुत रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने पार्टी की हार की जिम्मेदारी खुद पर लेते हुए अध्यक्ष पद से तुरंत इस्तीफा दे दिया। इसके बाद से ही पार्टी में अंतर्कलह शुरू हो गया।
राहुल का राजनैतिक सफर
इस विवाद की पृष्ठभूमि तो आप समझ ही गए होंगे। अब यहां पर समझना ये जरुरी है कि आखिरकार एक साल से भी ज्यादा का वक्त बीतने के बाद भी कांग्रेस को पूर्णकालिक अध्यक्ष क्यों नहीं मिला। राहुल गांधी साल 2004 में पहली बार नेहरू-गांधी परिवार के सियासी गढ़ अमेठी संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए। इसके बाद इसी सीट से 2009 और 2014 में भी विजयी हुए। राहुल 2007 में कांग्रेस के महासचिव बने, 2013 में कांग्रेस उपाध्यक्ष और फिर 2017 में निर्विरोध कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए। मगर 2017 में हुए यूपी चुनावों में कांग्रेस की बुरी हार हुई। इसके साथ 2019 लोकसभा चुनावों में भी राहुल की मेहनत का असर रिजल्ट में नहीं दिखा।
पांच राज्यों में चुनाव
कुछ महीनों बाद देश के पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। जिसमे पं बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी है। इन राज्यों में चुनाव मई तक हो जाएंगे। पं बंगाल और असम में बीजेपी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। इन पांच राज्यों के चुनावी नतीजे अभी के आधार पर अगर भविष्यवाणी की जाए तो कांग्रेस बहुत पिछड़ी हुई है। अगर इस वक्त राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया जाता और इन पांच राज्यों में कांग्रेस का रिजल्ट खराब होता तो नए अध्यक्ष की छवि पर बट्टा लग जाता। इसलिए कांग्रेस पार्टी ये समय निकल जाने के बाद ही अपने नए अध्यक्ष के सिर पर वो अध्यक्षी का ताज पहनाने की सोच रही होगी।