झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास को उड़ीसा का राज्यपाल बनाया गया है।दास गणेशी लाल की जगह लेंगे. तेलंगाना में बीजेपी के वरिष्ठ नेता इंद्रसेना रेड्डी नल्लू को त्रिपुरा का गर्वनर नियुक्त किया गया है.
2019 में हुए विधानसभा चुनाव में रघुवर दास झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए हार गए थे उसके बाद पार्टी ने उनको राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। इसके पहले भी कई बार इस बात की अटकलें लगाई जाती रही थी कि रघुवर दास को राज्यपाल बनाया जा सकता है यह भी प्रयास लगाया जा रहा था कि रघुवर दास को लोकसभा चुनाव में पार्टी उतार सकती है।
साल 1995 से लेकर पांच बार जमशेदपुर पूर्वी के विधायक रह चुके हैं हालांकि साल 2019 में उनके ही कैबिनेट के मंत्री सरयू राय ने टिकट न मिलने पर बागी होकर उनके खिलाफ चुनाव लड़ा और उनको पराजित किया।
रघुवर दास को राज्यपाल बनाए जाने के पीछे बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम भी माना जा रहा है झारखंड की राजनीति में पिछले लंबे अरसे से कई ध्रुव एक साथ काम कर रहे थे माना जा रहा है ताकि पार्टी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा था। इसमें एक ध्रुव की कमान रघुवर दास के हाथों में थी। अर्जुन मुंडा को पहले ही केंद्र की राजनीति में भेज दिया गया है। अब रघुवर दास को ही राजनीति से पृथक कर एक बड़ी जिम्मेदारी राज्यपाल के रूप में पार्टी ने प्रदान की गई है लेकिन झारखंड की राजनीति के लिए इसे एक बड़े संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
लंबा राजनीतिक तजुर्बा है रघुवर दास को
रघुबर दास (जन्म 3 मई 1955) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने झारखंड के छठे मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया । [ड्ड] उन्होंने 28 दिसंबर 2014 को झारखंड के 6वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वह भारतीय जनता पार्टी से हैं और दो बार झारखंड भाजपा के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं। फिलहाल वह बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.
उन्होंने पांच बार विधान सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया, वह 1995 से 2019 तक जमशेदपुर पूर्व का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उन्होंने राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान उप मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री के रूप में भी कार्य किया। आंतरिक आपातकाल के दौरान उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया गया। वह पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले राज्य के पहले मुख्यमंत्री हैं।
दास अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में शामिल थे। उन्होंने राज्य में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले संपूर्ण क्रांति आंदोलन में भाग लिया। उन्हें गया में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया और इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान उन्हें फिर से जेल में डाल दिया गया । इसके बाद, दास 1977 में जनता पार्टी में शामिल हो गए।
बाद में वह 1980 में संस्थापक सदस्य के रूप में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। उन्होंने 1980 में मुंबई में भाजपा की पहली राष्ट्रीय समिति की बैठक में भाग लिया। उन्हें जमशेदपुर में सीतारामडेरा की इकाई का प्रमुख नियुक्त किया गया । बाद में उन्होंने शहर के मुख्य सचिव और जमशेदपुर के उपाध्यक्ष, भाजपा सचिव के रूप में कार्य किया और फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने।
उन्हें 16 अगस्त 2014 को भाजपा की राष्ट्रीय समिति में उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था। जब 2014 के झारखंड विधान सभा चुनाव में भाजपा ने बहुमत हासिल किया , तो वह 28 दिसंबर 2014 को राज्य के छठे और पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री बने। दिसंबर 2019 में हुए झारखंड विधान सभा चुनाव में उनके नेतृत्व में भाजपा झामुमो गठबंधन के खिलाफ 81 विधानसभा सीटों में से केवल 25 सीटें जीतने में सफल रही और उसे इस्तीफा देना पड़ा। वह भाजपा के पूर्व नेता सरयू राय से हार गए , जो 15,000 से अधिक वोटों के साथ जमशेदपुर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार थे।