रघुनाथपुर : भव्य पंडाल, सुंदर प्रतिमा व विद्युत सज्जा आकर्षण का है केंद्र

देवी पूजा का सबसे शक्तिशाली रूप है माता काली : अमूल्य महतो

चांडिल : नीमडीह प्रखंड मुख्यालय रघुनाथपुर में लायंस क्लब द्वारा आयोजित भव्य काली पूजा पंडाल, सुंदर प्रतिमा व आकर्षक विद्युत सज्जा आकर्षण का केंद्र है। यह पूजा का आयोजन क्लब के संचालक अमूल्य महतो द्वारा 44 साल पूर्व शुभारंभ किया गया। यह पूरे चांडिल अनुमंडल का सबसे भव्य पंडाल माना जाता है। सुंदर प्रतिमा व आकर्षक विद्युत सज्जा लोगों को आकर्षित करता है। तीन दिनों तक पूरे अनुमंडल के श्रद्धालू माता काली की प्रतिमा दर्शन व भव्य पंडाल तथा आर्कषक विद्युत सज्जा का नयनाभिराम दृश्य की आनंद लेने पहुंचते हैं।

काली पूजा के आयोजक सह लायंस क्लब के संचालक अमूल्य महतो ने कहा कि मा काली की जन्म के संबंध में एक पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार पौराणिक काल में शंभू और निशंभु नाम के दो राक्षसों ने तबाही मचाना शुरू कर दिया और देवताओं के राजा इंद्र और स्वर्ग में उनके साम्राज्य की शांति भंग कर दी। समय के साथ, राक्षस मजबूत हो गए और देवताओं को हिमालय के पवित्र पहाड़ों, भगवान शिव और पार्वती के घर में शरण लेनी पड़ी। वहां उन्होंने देवी दुर्गा से मदद मांगी। स्वर्ग और पृथ्वी पर शांति बहाल करने के लिए, दुर्गा के माथे से काली का जन्म हुआ। काली, अपने दो अनुरक्षकों के साथ डाकिनी और जगिनी सहयोग से राक्षसों को मारकर युद्ध को समाप्त करने के लिए निकल पड़े। सभी राक्षसों का वध करने के बाद, उसने मारे गए दानव के सिर की एक माला बनाई और उसे अपने गले में पहना। लेकिन मां काली ने इस युद्ध के दौरान अपने नियंत्रण खो दिया और अपने रास्ते में आने वाले कोई भी व्यक्ति को मारना शुरू कर दिया। इस नरसंहार को समाप्त करने के लिए, भगवान शिव ने काली के प्रचंड पथ के बीच आने की योजना बनाई और काली ने इस दौरान अनजाने में भगवन शिव जी के छाती पर कदम रखा तो उसे होश आ गया। यह दृश्य कई छवियों में दर्शाया गया है, जब उसने गलती से भगवान शिव पर कदम रखा और पश्चाताप किया तब उसकी जीभ बाहर लटकी हुई है। अमूल्य महतो ने कहा कि यह अब भारत में देवी पूजा के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक बन गया है। मां काली का भयानक रूप के बावजूद, उपासक उसके साथ एक बहुत ही प्यार और अंतरंग बंधन साझा करते हैं, जैसे कि एक माँ और उसके बच्चे का। हिंदु धर्म में मां काली को सर्वोच्च शक्ति की अभिव्यक्ति के रूप में माना जाता है।

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