चांडिल : नीमडीह के घुटीयाडीह गांव में रविवार को देशभक्तों ने चुआड़ विद्रोह के महानायक शहीद रघुनाथ महतो का 283 वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर समारोह में उपस्थित मुख्य अतिथि जनसेवा ही लक्ष्य के संस्थापक सह आजसू के केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो, प्राचार्य निर्मल चंद्र महतो, ग्राम प्रधान दीपक महतो, सामाजिक कार्यकर्ता बेनुधर महतो, लक्ष्मीकांत महतो, गुरुपद सोरेन, लालमोहन गोराई, देवेन माझी, ताराचंद महतो, ग्राम प्रधान श्यामल महतो, रमापति महतो, मुखिया सुनील सिंह, ग्राम प्रधान रघुनाथ महतो आदि ने शहीद के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कृतज्ञता प्रकट किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि हरेलाल महतो ने देशप्रेमी नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि क्रांतिवीर रघुनाथ महतो के नेतृत्व में चुआड़ विद्रोह 1769 ई0 से 1778 तक तत्कालीन जंगल महल क्षेत्र ( सरायकेला-खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, मेदनीपुर, पुरुलिया व रांची जिला ) विशाल क्षेत्र में ब्रिटिश हुकूमत के तानाशाही फरमान के खिलाफ चला। इस विद्रोह को अंग्रेजों ने नफरत भरी नाम ”चुआड़” पर रखा जो ओछी मानसिकता परिचय है। उन्होंने कहा कि भारत के विद्वान इतिहासकारों को इस विद्रोह का नाम ”जंगल महल विद्रोह” के नाम से अंकित करने से उस विद्रोह में शहीद हुए क्रांतिवीरों के आत्मा को शांति मिलेगी। उन्होंने कहा कि जंगल महल के निवासी स्वतंत्रता प्रेमी है, जंगल महल विद्रोह इसी का साक्ष्य है। यहां के निवासियों को फिरंगियों ने कभी गुलामी के जंजीर में जकड़ नहीं सका।उन्होंने कहा कि संसाधन हीन समय में जब हमारे पूर्वजों ने स्वाधीनता के लिए शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आंदोलन की तो हमें उस आंदोलन से सीख लेकर अन्याय-अत्याचार के खिलाफ जनसेवा की भावना लेकर चलने की आवश्यकता है।
शहीद के स्मृति में गाये गीतों में भावविह्वल हुए दर्शक
लाल माटी लाल धुला झुमुर अखाड़ा झाड़ग्राम प्रस्तुत की गई क्रांतिवीर शहीद रघुनाथ महतो के जन्मदिन पर गायक समीर महतो द्वारा गाये गीत ”चुआड़ विद्रोहेर रघुनाथ महतो देशेर नेता महान, मानभूमेर वीर संतान राखे गेलो तारीख प्रणाम ” ताप्ती महतो द्वारा गाया गीत ” भारत मायेर दामाल (वीर) छेले रघुनाथ महतो नाम, सरायकेलाई जन्म घुटीयाडीह ग्राम, स्वाधीनतार अमर शहीद लहो गो प्रणाम” आदि शहीदों के स्मृति के गीतों में देशभक्त नागरिक भावविह्वल हो गये। अखाड़ा के संचालक ताप्ती महतो, मिस जोबा, शिखा रानी आदि गायिकाओं ने भी कर्णप्रिय सुरीले गीतों से तथा मुक्ता, रीना, सुजाता, चुमकी, तुली आदि नर्तकियों के नृत्य से दर्शक व श्रोताओं को मोहित किया। म्यूजिक कंपोजर सनत घोष, गौरी शंकर, बापी मिर्धा, मंगल राणा, बुधेश्वर कर्मकार, रंजु मिर्धा, साधुचरण मिर्धा व सपन महतो ने गीत-नृत्य में मधुर धुन दिया।