नस्लभेली भद्दे कमेंट सुनने के साथ भारतीय होने पर भी प्रमाण देना पड़ता है पूर्वोत्तर की महिलाओं को

टेलीविजन डांस रियलिटी शो डांस दीवाने 4 के होस्ट राघव जुयाल को हाल ही में असम की एक कंटेस्टेंट को ‘चाइनीज’ बोलना भारी पड़ गया। इसे लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी नाराजगी जताई है। नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के साथ रेसिज्म का ये पहला वाकया नहीं है। वहां के लोगों, खासकर महिलाओं को दूसरे राज्यों समेत दिल्ली में भी ऐसे नस्लभेदी कमेंट्स रोज सुनने को मिलते हैं।
हमसे ऐसा सलूक किया जाता है कि इंसानियत भी शर्मसार हो जाए
गुवाहाटी की भासवती दास को दिल्ली में रहते हुए करीब 20 साल हो चुके हैं, लेकिन घर से बाहर निकलते वक्त आज भी उन्हें चिंकी, चाइनीज, नेपाली या कोरोना जैसी बातें सुनने को मिलती हैं। गुस्से के साथ मन की पीड़ा को बयान करते हुए भासवती दास कहती हैं, ‘देश में सिर्फ जातिवाद ही नहीं, नस्लवाद भी है। जहां भी जाती हूं, पूरे रास्ते लोग शक्ल देखते रहते हैं। कुछ खाने को लूं तो प्लेट को घूरने लग जाते हैं। शुरुआत में मैं इन बातों को नजरअंदाज कर देती थी, पर अब मजबूरन पलटकर जवाब देना पड़ता है।
नम आंखों से भासवती कहती हैं- कुछ साल पहले मैंने दिल्ली में जॉब शुरू की थी। उस दौरान पति यहां काम नहीं करते थे। रूम किराए पर लेने के लिए कई लोगों के पास गई, लेकिन ज्यादातर लोगों ने ऐसा सलूक किया कि इंसानियत भी शर्मसार हो जाए।
मैं इंडियन और मैरिड वुमन हूं, इस बात को साबित करने के लिए मुझसे मैरिज सर्टिफिकेट मांगा गया। मेरी जिंदगी में कई ऐसे कड़वे अनुभव हैं। मैं सबसे हंसते हुए बात करती हूं, इस पर लोगों ने मुझे सेक्शुअली अवेलबल समझा। कपड़े पहनने की स्टाइल को जज किया।
लडक़ों ने पूछा था, वन नाइट स्टैंड करोगी?
जब दूसरे देशों में किसी भारतीय के साथ रेसिज्म की खबर आती हैं तो सबका खून खौल जाता है। पर ऐसी घटनाएं जब हमारे देश में नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के साथ होती है तो सभी को बहुत नॉर्मल-सी बात लगती है। वहीं, जब किसी खेल में मेडल हासिल करें तो सारे भेदभाव पलभर में ही मिट जाते हैं।

आखिर क्यों ये दोगलापन हर नब्ज में बस चुका है? क्या सोसायटी की सोच में फर्क पड़ेगा? क्या ऐसा भी दिन आएगा जब हम भी भारतीय कहलाएंगे?”… ये कहना है नगालैंड की सारा का। वह पिछले आठ सालों से दिल्ली में रह रही हैं। सारा कहती हैं, ‘ओ चिंकी, चीन से है क्या?’ ये सब सुनने की मुझे तो अब आदत है। हमें देखते ही लोग सोचते हैं कि हम जापानी, चीनी या नेपाली हो सकते हैं। तुलना यहीं से शुरू होती है। कई बार जवाब भी देती हूं कि नहीं भाई साहब, नगालैंड में पैदा हुई और दिल्ली में पली-बढ़ी हूं।’ इससे ज्यादा क्या ही कहूं।
मुझे आज भी वो दिन याद है जब सडक़ पार करते वक्त मुझे सामने से गुजरने वाले लडक़ों ने कहा था ‘वन नाइट स्टैंड करोगी क्या।’ रात के 8.30 बज रहे थे, अकेले होने की वजह से मैंने चुप्पी साधकर सडक़ पार कर ली। मन में डर और गुस्सा, दोनों खौल रहे थे, पर मैं मजबूर थी।
अश्लील कमेंट करने वाले लोग हमें सेक्स वर्कर समझते हैं
असम की देबाबावी कहती हैं- अगर किसी से आप खुद पूछ लें कि नॉर्थ-ईस्ट के बारे में कितना जानते हैं? वहां कितने राज्यों में विजिट कर चुके हैं? कितने दोस्त नॉर्थ-ईस्ट से है? वहां का पहनावा और संस्कृति कैसी है?… शायद इन सवालों के जवाब बहुत कम लोगों के पास होंगे।
इनको ऐसे होना चाहिए, ये तो हमेशा अवेलबल है’, ऐसे भद्दे और अश्लील कमेंट करने वाले लोग लड़कियों को सेक्स वर्कर मानते हैं। ऐसे बर्ताव की वजह से ही गुस्सा और अलगाव पैदा होता है। केवल मेडल लाने वाले खिलाडिय़ों पर ही नहीं, सबको नॉर्थ-ईस्ट की डाइवर्सिटी पर भी गर्व होना चाहिए।
नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को ‘चाइनीज’ कहना गलत
सोशल मीडिया पर रियलिटी शो के होस्ट राघव के लिए काफी नाराजगी दिख रही है। कई लोगों ने ट्वीट किया कि नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को चाइनीज कहा जाना बिल्कुल गलत है। वहीं, कई यूजर्स का कहना है भले ही ये बात मजाक में कही गई हो, पर समाज में इसका मैसेज अच्छा नहीं जाएगा।
इसके अलावा केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, ‘यह ऐसे लोगों में सही परवरिश की कमी को दिखाता है। इस तरह की सोच हमारी एकता को नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने लिखा कि असम और नॉर्थ-ईस्ट के लोग उतने ही भारतीय हैं जितने बाकी सभी लोग।’
आखिर कब थमेगा नॉर्थ-ईस्ट के लोगों से भेदभाव?
साल 2012 में बेंगलुरू में नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को निशाना बनाया गया था। तब सैकड़ों की तादाद में उन्हें वापस अपने राज्यों में लौटना पड़ा।
साल 2014 में दिल्ली में अरुणाचल के निदो तानिया की हत्या हो गई।
साल 2017 में सरकार ने संसद में बताया था कि तीन साल में केवल दिल्ली में नॉर्थ-ईस्ट वालों के साथ अपराध के 704 मामले दर्ज किए गए।
एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में 1 फरवरी से 25 मार्च तक नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव के 22 मामले सामने आए।
साल 2020 में देश कोरोना महामारी की जंग के बीच भी नॉर्थ-ईस्ट के लोग नस्लभेद से लड़ रहे थे।

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