स्मृति: पुरुषोत्तम दास ने चाकुलिया की गौशाला को यज्ञशाला, कर्मशाला और प्रयोगशाला बनाया

चाकुलिया: चाकुलिया में कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी के तहत संचालित गौशाला के अध्यक्ष और समाजसेवी स्वर्गीय पुरूषोत्तम दास झुनझुनवाला हमेशा याद किए जाएंगे. उन्होंने अपने अध्यक्ष के कार्यकाल में इस गौशाला को नई दिशा और दशा दी. उनके लगन और परिश्रम से इस गौशाला की चमक राष्ट्रीय स्तर पर बिखरी. सच तो यह है कि पुरुषोत्तम दास झुनझुनवाला ने इस गौशाला को कर्मशाला, यज्ञशाला और प्रयोगशाला बना डाला. गौसेवा की एक मिसाल कायम की और गौसेवा तथा समाज सेवा के क्षेत्र में प्रेरणा के स्रोत बने. 31 जनवरी को गौशाला प्रांगण में स्व पुरुषोत्तम दास झुनझुनवाला की मूर्ति का अनावरण राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू करेंगी.
पुरुषोत्तम दास झुनझुनवाला वर्ष 1998 से 2018 तक इस गौशाला के अध्यक्ष थे. उनके नेतृत्व में गौशाला का विकास हुआ. गौशाला को एक अलग पहचान दी. उनके कार्यकाल में ही गौशाला परिसर में गौमूत्र से फिनाइल, गोबर से केंचुआ खाद, गोबर गैस, गोमूत्र से दवाइयों का निर्माण जैसे कार्य नई तकनीक शुरू किये गये. उन्होंने गौशाला परिसर में हजारों पौधों का रोपण करवाया. नई तकनीक से कृषि कार्य शुरू करवाया. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को पशुपालन की जानकारी देकर पशुपालन के प्रति जागरूक किया. उन्होंने चाकुलिया में 1946 में आजाद हिन्द पुस्तकालय की स्थापना की थी. 1968 में चाकुलिया में इन्द्र धनुष संस्था का गठन किया. वे आठ वर्ष तक चाकुलिया के मुखिया रहे. विश्व हिन्दु परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे 1992 में भारतीय गौवंश संरक्षण संवर्धन परिषद के प्रथम अध्यक्ष बने. अयोध्या के राम मंदिर प्रकरण में भी उनका योगदान रहा. 2006 गौ सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष बने. पुरुषोत्तम दास झुनझुनवाला वृद्धावस्था तक गौ सेवा कार्य करते रहे और अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक गौसेवा की.

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