चांडिल। राज्य सम्पोषित प्लस टू उच्च विद्यालय चांडिल के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य मनजीत कौर को छात्र-छात्राओं और कर्मियों द्वारा विदाई दी गई। विद्यालय परिसर में शुक्रवार को आयोजित विदाई समारोह में उपस्थित लोगों ने सेवानिवृत्त प्रधानचार्य मनजीत कौर को शॉल, गुलदस्ता समेत अन्य उपहार देकर सम्मानित किया। वहीं, नम आंखों से विदाई दी। यहां शिक्षकों ने दीप प्रज्वलन करने के उपरांत केक काटकर कर विदाई समारोह का शुभारंभ किया। विदाई समारोह कार्यक्रम के दौरान नवनियुक्त प्रधानाचार्य मंगल सिंह मुंडा ने कहा सेवानिवृत्त प्रधानाचार्या की कुशल कार्यक्षमता व उत्कृष्ट योगदान हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। वह सेवानिवृत्त जरूर हुई हैं, पर सेवा के दायित्वों से मुक्त नहीं हुई हैं। इनके मार्गदर्शन की हमें हमेशा अपेक्षा रहेगी। समारोह के दौरान नृत्य – संगीत और भाषणों के माध्यम से मनजीत कौर के प्रति श्रद्धा प्रकट किया। विद्यार्थियों के शानदार प्रदर्शन ने समस्त शिक्षक और छात्र-छात्राओं को भाव विभोर कर दिया। वहीं, विद्यालय परिसर में पौधारोपण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
अनुशासन की पर्याय शिक्षिका मनजीत कौर
सरायकेला – खरसावां जिले में मनजीत कौर ने अनुशासन की मिसाल कायम करने का काम किया है। एसएस उच्च विद्यालय में अपने कार्यकाल में अनुशासन के मामले में मनजीत कौर काफी कड़क मिजाज की रही। इसी कारण वह चांडिल वासियों के बीच लोकप्रिय हैं। अपने 14 वर्ष के कार्यकाल में अपनी कार्यकुशलता से विद्यालय में आमूलचूल परिवर्तन लाया है। सीमित साधनों के साथ विद्यालय में पठन-पाठन को दुरस्त कर एक अलग पहचान दिलाने की सफलता प्राप्त की है। मनजीत कौर ने बच्चों को अनुशासनात्मक जीवन शैली के साथ साथ खेलकूद, कला, संस्कृति कार्यक्रमों में बढ़चढ कर हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित की है, जो उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। मनजीत कौर के कार्यशैली ने विद्यार्थियों व विद्यालय के कर्मचारियों के अलावा आम जनता के बीच अमिट छाप छोड़ दी है।
बता दें कि चांडिल से पहले मनजीत कौर राजनगर के सिजुलता स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्यरत थीं। वहां पर भी उन्होंने आम लोगों की वाहवाही बटोरी हैं। वर्ष 2009 में चांडिल एस एस प्लस टू विद्यालय में प्रधानचार्य के पद पर पदस्थापित होने के बाद से 31 दिसंबर 2023 तक अपने अनुभवों को धरातल में लाकर विद्यालय को एक नई पहचान दिलाने का काम की है। इनके कार्यकाल में विद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिला है।