हाथों में फूल बेलपत्र…बाबा बैद्यनाथ के दरबार में भारत की राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तीन दिन के दौरे पर आज झारखंड पहुंची हैं। उन्होंने देवघर के प्रसिद्ध बाबा वैद्यनाथ मंदिर और इसी परिसर में स्थित मां पार्वती के मंदिर में पूजा-अर्चना की। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर के 12 ज्योतिलिंर्गों में से देवघर के बाबा वैद्यनाथ एक हैं। इसकी प्रसिद्धि मनोकामना ज्योतिलिर्ंग के रूप में है। द्रौपदी मुर्मू चौथी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने इस मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके पहले राष्ट्रपति के तौर पर डॉ राजेंद्र प्रसाद, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद पूजा-अर्चना कर चुके हैं।

भोले बाबा के सामने भक्तिमय दिखीं राष्ट्रपति

झारखंड में राज्यपाल रहते हुए द्रौपदी मुर्मू पहले भी यहां कई बार पूजा-अर्चना के लिए आती रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले साल जुलाई में इस मंदिर में पूजा अर्चना की थी। राष्ट्रपति ने जल, दूध, पंचामृत के साथ ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया और इसके बाद मंत्रोच्चार के बीच फूल, बेलपत्र, मदार, धतूरा अर्पित किया। पूजा के बाद राष्ट्रपति ने अपने ट्विटर हैंडल पर तस्वीरें शेयर कीं और लिखा कि उन्होंने पूजा कर सभी देशवासियों के कल्याण हेतु प्रार्थना की।

पिंक साड़ी में भोले के दरबार में पहुंची द्रौपदी

द्रौपदी मुर्मू ने बाबा बैद्यनाथ से देश की सुख-समृद्धि की कामना की। पूजा के उपरांत राष्ट्रपति का पेयजल मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने मंदिर श्राईन बोर्ड की तरफ से अंग वस्त्र एवं स्मृति चिह्न देकर उनका अभिनंदन किया। राष्ट्रपति द्रौपदी जब भोले की दरबार में पहुंची तो वह पिंक (गुलाबी) कलर की साड़ी में दिखीं। पूजा कराने वाले पुजारी भी पिंक धोती मे दिखे। बता दें कि झारखंड के आदिवासी समाज में पिंक को शुभ रंग माना जाता है। पूजा पाठ के वक्त पिंक वस्त्र पहनना अच्छा माना जाता है।

बाबाधाम आने वाले चौथे राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देवघर आने वाली चौथी राष्ट्रपति हैं। इससे पहले देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद तथा दो बार बतौर राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी एवं श्री रामनाथ कोविंद भी बाबा बैद्यनाथ की पूजा-अर्चना कर चुके हैं।

देवघर वाले भोले पूरी करते हैं मनोकामना

देवघर का यह अतिप्राचीन मंदिर सैकड़ों वर्षों से आस्था का केंद्र रहा है। पंडा देवघर में धर्मरक्षिणी समाज के मनोज कुमार मिश्रा ने कहा कि पौराणिक मान्यताओं में देवघर को हृदयापीठ कहा जाता है क्योंकि यहां मां सती का हृदय गिरा था। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां सच्चे मन से उपासना करने से हर मनोकामना पूरी होती है।

 

Share this News...