लखनऊ राजनीतिक गलियारों में माना जाता है कि उत्तर प्रदेश की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से ही होकर गुजरता है। पूर्वांचल के 28 जिले सूबे की राजनीतिक दशा और दिशा तय करते हैं।
इनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मीरजापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीर नगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सुलतानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशांबी, और अंबेडकरनगर शामिल हैं। चुनावी फिजां में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों करवाकर बीजेपी 28 जिलों की 164 सीटों को साधने की कोशिश में है।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे
16 नवंबर को होगा 340.82 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का शुभारंभ
बताया जा रहा है कि 16 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी 42 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार 340.82 किमी लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का लोकापर्ण करने सुलतानपुर में आ रहे हैं। पीएम कूरेभार थानाक्षेत्र के अरवलकीरी अकरवत स्थित एयर स्ट्रिप पहुंचेंगे। यहां पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण के साथ ही सुलतानपुर समेत पूर्वांचल के जिलों को अन्य विकास योजनाओं का भी तोहफा देंगे। हालांकि, अभी पीएम के दौरे का अधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन प्रशासनिक हलके में 16 नवंबर के कार्यक्रम की रूपरेखा के तहत काम चल रहा है।
पूर्वी और पश्चिमी यूपी में कम हो जाएगी दूरी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास जुलाई, 2018 में आजमगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी ने ही किया था। इस एक्सप्रेस-वे को पूर्वी यूपी के लिए लाइफ लाइन कहा जा रहा है। लखनऊ से आजमगढ़ और मऊ होते हुए गाजीपुर तक इस एक्सप्रेस-वे पर वाहनों के फर्राटा भरने से समय के लिहाज से पूर्वी और पश्चिमी यूपी के बीच की दूरी कम हो जाएगी। साथ ही, व्यापार और वाणिज्य को भी पंख लगेंगे।