नई दिल्ली 1 अगस्त विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर लगातार चर्चा की मांग कर रहा है। इन सब के बीच आज खबर आई है कि 8 से 10 अगस्त के बीच से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। वहीं, 10 अगस्त को ही प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में जवाब देंगे।
संसद के मानसून सत्र में विपक्षी दलों का जबरदस्त तरीके से हंगामा जारी है। मणिपुर को लेकर यह हंगामा चल ही रहा था कि आज संसद में दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग और तमाम अन्य नियमों को तय करने वाले दिल्ली अध्यादेश बिल को पेश कर दिया गया। इसके बाद से फिर से लोकसभा में गतिरोध बढ़ गया। वहीं, आज राज्यसभा में कुछ हद तक कामकाज हो सका है। हालांकि, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्षी दलों का लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों में मोदी सरकार के खिलाफ हंगामा और नारेबाजी जारी है। विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर लगातार चर्चा की मांग कर रहा है। इन सब के बीच आज खबर आई है कि 8 से 10 अगस्त के बीच से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। वहीं, 10 अगस्त को ही प्रधानमंत्री अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में जवाब देंगे।
लोकसभा की कार्यवाही
– मणिपुर के मुद्दे पर संसद में मानसून सत्र के प्रारंभ से जारी गतिरोध अब भी बरकरार है। मंगलवार को विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही निचले सदन में तीन विधेयक पारित हुए और एक विधेयक पेश किया गया। लोकसभा में जिन तीन विधेयकों को मंजूरी दी गई उनमें ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023, ‘अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 और ‘संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक, 2023’ शामिल हैं।
– लोकसभा में मंगलवार को विवादास्पद ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ पेश किया गया। निचले सदन में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पेश किया। विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी आदि ने विरोध किया। विधेयक पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के हवाले से इसे पेश किये जाने का विरोध किया जा रहा है लेकिन उसी आदेश के पैरा 6, पैरा 95 में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि संसद, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए कोई कानून बना सकती है।
– केंद्र सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अंतिम रूप देने पर काम कर रही है। सरकार ने लोकसभा को यह जानकारी दी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि केंद्र सरकार पत्रकारों और मीडियाकर्मियों समेत सभी नागरिकों की सुरक्षा को अत्यंत महत्व देती है।
राज्यसभा की कार्यवाही
– मणिपुर मुद्दे पर राज्यसभा में भी गतिरोध कायम है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राज्यसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों को बोलने नहीं दिया जा रहा है और उन्हें धमकाया जा रहा है। विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट भी किया।
– सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद देश में अंग प्रतिरोपण में वृद्धि हुई है और 2023 में अब तक 7,107 अंगों का प्रतिरोपण किया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री एस पी सिंह बघेल ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।
– सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 तथा प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 पेश किए। भोजनावकाश के बाद उच्च सदन की बैठक फिर शुरू होने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सभापति की अनुमति से प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 पेश किया।
– राज्यसभा ने मंगलवार को बहु राज्?य सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी। बहु राज्?य सहकारी समिति अधिनियम 2002 में संशोधन के प्रावधान वाले इस विधेयक का उद्देश्य सहकारी समितियों के कामकाज को बेहतर, ज्?यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाना तथा उनकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाना है। इस विधेयक को लोकसभा ने गत सप्ताह मंजूरी दी थी।
– स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि उनके मंत्रालय की ई-स्वास्थ्य पहल ई-संजीवनी के तहत अप्रैल 2021 से इस साल 26 जुलाई तक 14.17 करोड़ से अधिक टेली-परामर्श दिए गए हैं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।
– राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ नेप्रश्नकाल को संसदीय लोकतंत्र का दिल बताते हुए मंगलवार को अफसोस जताया कि कुछ सदस्य अपने तारांकित सवालों के सूचीबद्ध होने के बाद भी पूरक प्रश्न पूछने के लिए उचित समय पर सदन में मौजूद नहीं रहते हैं। सभापति ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान यह टिप्पणी उस समय की जब विपक्ष के ज्यादातर सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे।