आस्ट्रेलिया में मिली जीत के पीएम मोदी कायल कहा अनुभव कम लेकिन बुलंद था हौसला

नई दिल्ली 22 जनवरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम की तेजपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने टीम इंडिया की ऑस्ट्रेलिया में जीत का खास तौर से जिक्र किया। मोदी ने कहा, “ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए हमारे कुछ खिलाडय़िों को अनुभव भले ही कम था, लेकिन हौसला बुलंद था। मौका मिला तो उन्होंने इतिहास रच दिया।”
मोदी के भाषण की खास बातें
भारतीय टीम की जीत से तीन सीख मिलती हैं
अपनी क्षमताओं पर विश्वास होना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं, तो मुश्किल काम भी आसान होगा।
पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ें। इससे सारे काम पॉजिटिव होंगे।
सुरक्षित निकलने और मुश्किल जीत का विकल्प हो तो, हमें जीत की तरफ जाना चाहिए। इस कोशिश में कभी-कभी हार भी मिलती है, तो हमें डरना नहीं चाहिए। हम अतिरिक्त दबाव लेते हैं, तो भटक जाते हैं।
भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में देश का टेम्परामेंट दिखाया
आपने देखा होगा कि कोरोना काल में आत्मनिर्भर अभियान हमारे सपनों के अंदर घुल मिल गया है। हमारे प्रयास, सिद्धि हम अनुभव कर रहे हैं। लेकिन ये अभियान है क्या? क्या बदलाव फिजिकल स्ट्रक्चर में है? सबसे बड़ा बदलाव इंस्टिंक्ट का है। हर समस्या से निपटने के लिए देश का मिजाज बदल चुका है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया टूर में देश का टेम्परामेंट देखने को मिला। पहले मैच में बुरी हार हुई, लेकिन बाद में युवा खिलाडय़िों ने चैलेंज का सामना किया। नए समाधान तलाशे।
आज का भारत एक्सपेरिमेंट से नहीं डरता
हमारी सरकार आज जिस तरह नॉर्थ-ईस्ट के विकास में जुटी है, जिस तरह कनेक्टिविटी, शिक्षा और स्वास्थ्य हर सेक्टर में काम हो रहा है, उससे आपके लिए नई संभावनाएं बन रही हैं। इन संभावनाओं का पूरा लाभ उठाइए। आज का भारत समस्या के समाधान के लिए एक्सपेरिमेंट से भी नहीं डरता और बड़े स्केल पर काम करने से भी पीछे नहीं हटता।
हमारी वैक्सीन पूरी दुनिया को सुरक्षा का भरोसा दे रही
कोरोना में हमने तेजी से फैसले लिए, इसलिए हम प्रभावी रूप से लड़ पाए। मेड इन इंडिया सॉल्यूशन से वायरस के प्रभाव को कम किया। हमारी वैक्सीन की क्षमता भारत ही नहीं, दुनिया को सुरक्षा कवच का भरोसा दे रही है। अगर हम अपने डॉक्टर्स, रिसर्चर्स पर भरोसा नहीं करते तो क्या ये संभव हो पाता? अगर हम ये सोच लेते कि कम लिटरेसी के बावजूद देश की बड़ी आबादी डिजिटल ट्रांजैक्शन कैसे कर पाएगी, तो हम पीछे रह जाते। इसके उलट हमने बेहतर करके दिखाया।

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