बंगाल में मोदी बोले- दीदी,आप अपना पैर मेरे सर पर रख सकती हैं, मुझे लात मार सकती हैं, लेकिन बंगाल के सपनों को लात नहीं मारने दूंगा


​​​​​​​गुवाहटी/कोलकाता

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बांकुड़ा में रैली को संबोधित किया। पीएम ने कहा कि जिस धरती को सिदो-कान्हों ने गौरवांवित किया, बांकुड़ा की ऐसी धरती का मैं वंदन करता हूं। प्रणाम करता हूं। पीएम ने आगे कहा कि मुझे याद है, जब मैं लोकसभा चुनाव के समय आपका आशीर्वाद मांगने आया था, तो यहां दीदी ने क्या क्या किया था। रैली ग्राउंड तक आने वाले सारे रास्ते बंद करवा दिए थे, टेंट हाउस से कुर्सियां तक न मिलें इसके लिए पुलिस को लगाया था। बांकुरा की ये तस्वीर साक्षी है कि बंगाल के लोगों ने ठान लिया है- 2 मई, दीदी गई।
आशोल पॉरिबोर्तोन का मतलब समझाया
आशोल पॉरिबोर्तोन- बंगाल के गौरव को बढ़ाने के लिए। आशोल पॉरिबोर्तोन- बंगाल में एक ऐसी सरकार लाने के लिए जो गरीबों की सेवा करे, उनकी तकलीफें दूर करें। आशोल परिवर्तन- बंगाल में एक ऐसी सरकार लाने के लिए जो सरकारी योजनाओं का पैसा गरीब तक पहुंचाए। आशोल परिवर्तन- बंगाल में एक ऐसी सरकार लाने के लिए जो तोलाबाजों, सिंडिकेट को जेल भेजे, भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्रवाई करे। आशोल परिवर्तन बंगाल में BJP लाकर दिखाएगी।

तस्वीरों में दीदी मेरे सिर पर अपना पैर मार रही हैं
आज जब मैं बांकुड़ा आया हूं, तो यहां रामपाड़ा के बहनों और भाइयों को भी विशेष तौर पर राम राम कहूंगा। रामपाड़ा की चर्चा आजकल पूरे देश में है। रामपाड़ा में आप राम पुकारेंगे तो हर घर से राम निकलेगा। बंगाल में दीदी के लोग दीवार पर तस्वीरें बना रहे हैं। तस्वीरों में दीदी मेरे सिर पर अपना पैर मार रही हैं। मेरे सिर के साथ फुटबॉल खेल रही हैं। आप बंगाल के संस्कार और यहां की महान परंपरा का अपमान क्यों कर रही हो दीदी? ये बंगाल तो देश को दिशा देने वाला है। दीदी अगर आप चाहती हैं तो आप अपना पैर मेरे सर पर रख सकती हैं, मुझे लात मार सकती हैं। लेकिन दीदी मेरी दूसरी बात भी कान खोलकर सुन लीजिए। मैं आपको अब बंगाल के विकास को लात नहीं मारने दूंगा। मैं आपको बंगाल के सपनों को लात नहीं मारने दूंगा।

तो बंगाल में कभी आपकी सरकार नहीं बनती
तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति ने आपको क्या बना दिया है। आपने अपना ये असली चेहरा 10 साल पहले दिखा दिया होता तो बंगाल में कभी आपकी सरकार नहीं बनती। ये हिंसा, ये अत्याचार, ये उत्पीड़न ही करना था तो फिर मां-माटी-मानुष की बात क्यों की आपने। बांकुरा की ये तस्वीर साक्षी है कि बंगाल के लोगों ने ठान लिया है- दो मई, दीदी गई। मैं जितना दीदी से आपके सवाल पूछता हूं, उतना वो मुझ पर गुस्सा करती हैं। अब तो कह रही हैं कि उनको मेरा चेहरा भी पसंद नहीं है। अरे दीदी, लोकतंत्र में चेहरा नहीं, जनता की सेवा, जनता के लिए किया गया काम कसौटी पर होता है। दीदी और उनकी सरकार ने 10 साल के दौरान पश्चिम बंगाल में क्या खेला किया, ये पूरा क्षेत्र इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। स्वर्गीय अजीत मूर्मू जैसे हमारे अनेक आदिवासी साथी तृणमूल के खैला के कारण शहीद हो गए।

योजनाओं में भ्रष्टाचार पर घेरा
यहां का किसान साल में सिर्फ एक फसल लेने के लिए मजबूर है। यहां सिंचाई व्यवस्थाएं जर्जर क्यों हैं, परियोजनाएं लटकी क्यों हैं दीदी? यहां युवा परेशान हैं, चाकरी, उद्योग, निवेश कहां है दीदी? आपने 10 साल में सिर्फ खोखली घोषणाएं की हैं, जमीन पर काम कहां है दीदी?केंद्र सरकार हर घर पाइप से जल पहुंचाने के लिए अभियान चला रही है। हमने सैकड़ों करोड़ रुपए बंगाल सरकार को दिया है। लेकिन यहां की बहनें-बेटियां, बूंद-बूंद पानी के लिए परेशान हैं। नल कहां है दीदी, जल कहां है दीदी? यहां खेतों में पानी क्यों नहीं है दीदी?

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