नई दिल्ली, लोकसभा में राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के मौके का सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने-अपने सियासी एजेंडे के हिसाब से एक दूसरे को कठघरे में खड़़ा करने का भरपूर प्रयास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार शाम चार बजे के बाद लोकसभा में बहस का जवाब देंगे। सबकी निगाहें इसी ओर हैं। राज्यसभा में चर्चा के जवाब में पीएम द्वारा किसानों से संवाद के लिए सरकार के हमेशा तैयार रहने की बात कहने के बाद से उत्सुकता बढ़ गई है।
किसानों को गुमराह कर आंदोलन को हवा देने का आरोप
इससे पूर्व मंगलवार को प्रस्ताव पर जारी बहस का आगाज करते हुए भाजपा के रमेश विधुड़ी ने विपक्ष पर किसानों को गुमराह कर आंदोलन को हवा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सिंघु और गाजीपुर बार्डर पर धरना दे रहे लोग किसान नहीं बल्कि राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग हैं। अपने दावे के पक्ष में उन्होंने किसान संगठनों के कुछ नेताओं के वामदलों से जुड़े होने की बात कही। कृषि कानूनों पर विपक्ष के विरोध को सियासी बताने के लिए विधुड़ी ने शरद पवार के बतौर कृषि मंत्री, मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र का जिक्र किया, जिसमें मंडियों के सुधार के लिए पहल करने की बात थी।
पीएम के एमएसपी खत्म नहीं करने के आश्वासन को हकीकत से परे करार दिया
विपक्षी खेमे की ओर से सरकार पर पलटवार करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राज्यसभा में पीएम के एमएसपी खत्म नहीं करने के आश्वासन को हकीकत से परे करार दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जिस जिले से आते हैं और प्रधानमंत्री जिस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहां भी किसानों को धान और मक्के का एमएसपी नहीं मिलता। ऐसे में बाकी जगह की हकीकत क्या है वह छिपी बात नहीं है। रक्षामंत्री के संसदीय इलाके में भी यही स्थिति है।
अखिलेश यादव ने भाजपा-संघ पर कसा चंदाजीवी का तंज
सपा नेता ने कहा कि भाजपा ने किसानों की आय दोगुनी करने का नारा दिया था। जिस उत्तर प्रदेश ने दो बार उनकी सरकार बनाई वहां के किसानों को एमएसपी नहीं मिल रहा। कृषि कानून विरोधी किसानों और उनके आंदोलन पर हो रहे हमलों को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा कि किसानों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार कभी नहीं हुआ। सरकार पर सवाल दागते हुए कहा कि जिनके लिए कानून बने हैं, वे अगर उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे तो सरकार किसानों की बात क्यों नहीं मान रही। सरकार के इस रुख को देखते हुए क्या यह आरोप सही नहीं कि ये कानून कारपोरेट के लिए हैं। आप जनप्रतिनिधि नहीं धनप्रतिनिधि हैं।
दिर से जुड़े चंदा अभियान का नाम लिए बिना अखिलेश ने भाजपा-संघ परिवार पर तंज कसते हुए कहा कि किसानों के सवाल उठाने वालों को आंदोलनजीवी बताया जाता है मगर आप तो जब चाहे चंदा लेने निकल पड़ते हैं। इसलिए क्या आप चंदाजीवी नहीं हैं। सपा नेता का भाषण खत्म होने के बाद केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने अखिलेश की टिप्पणी पर एतराज जताया और कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए लोग खुद आगे आकर चंदा दे रहे हैं, ऐसे में चंदाजीवी कहना गलत है।