जल्द मिलना चाहिए न्याय,जजों की कॉन्फ्रेंस में बोले पीएम मोदी, जूडिशियरी की भूमिका संविधान संरक्षक की, लेजिस्ट्रचर नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है

– ज्यूडिशियल सिस्टम में डिजिटलाइजेशन
PM नरेंद्र मोदी आज विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में शामिल हुए. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि, हमारे देश में जहां एक ओर जूडिशियरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं लेजिस्ट्रचर नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है. मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा.. कार्यक्रम में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू और भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना भी शामिल थे.
प्रधानमंत्री ने कहा आजादी के इन 75 सालों ने ज्यूडिशियरी और एग्जक्यूटिव, दोनों के ही रोल्स और रिसपाॉन्सिबलिटी को निरंतर स्पष्ट किया है। जब भी जरूरी हुआ, देश को दिशा देने के लिए ये संबंध लगातार विकसित हुआ है। हम देश में जजों की संख्या को पूरा करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।
हमारे देश में जहां एक ओर ज्यूडिशियरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं लेजिस्लेचर नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम और संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोड मैप तैयार करेगा।
डिजिटल ट्रांजेक्शन में अगुवा है भारत

नरेंद्र मोदी ने कहा कि, भारत सरकार भी जूडिशल सिस्टम में टेक्नोलॉजी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है. उदाहरण के तौर पर, ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है. आज छोटे कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी डिजिटल ट्रांजेक्शन आम बात होने लगी है. पूरे विश्व में पिछले साल जितने डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए, उसमें से 40 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन भारत में हुए हैं.

लीगल एजुकेशन इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के मुताबिक हो

आजकल कई देशों में लॉ यूनिवर्सिटी में ब्लॉक चेन, इलेक्ट्रॉनिक डिस्कवरी, साइबर सिक्योरिटी, रोबोटिक्स, एआई और बायोथिक्स जैसे विषय पढ़ाए जा रहे हैं. हमारे देश में भी लीगल एजुकेशन इन इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के मुताबिक हो, ये हमारी जिम्मेदारी है.

1450 अप्रासंगिक कानूनों को किया खत्म

पीएम ने कहा कि हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे. उन्होंने कहा कि, एक गंभीर विषय आम आदमी के लिए कानून की पेंचीदगियों का भी है. 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे क़ानूनों को चिह्नित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे. इनमें से जो केंद्र के कानून थे, ऐसे 1450 क़ानूनों को हमने खत्म किया. पर राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किए गए हैं. ऐसे कानूनों को हर हाल में खत्म करने की जरूरत है.

ज्यूडिशियल को मजबूत करने पर हो रहा व्यापक काम

मौजूदा समय और भी ज्यादा खास है. यह आयोजन ऐसे समय मे हो रहा है जब देश आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है. जब हमारी आजादी के 100 साल पूरे हों तब एक ऐसी न्याय व्यवस्था बनाई जाए, जो बेहतर हो. ज्यूडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए व्यापक काम हो रहा है. राज्य भी बेहतरीन काम कर रहे हैं.

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