पीएम मोदी के आने से पहले अस्पताल में टाइल्स लगाने और रंगाई का काम करते मजदूर
PM नरेंद्र मोदी मंगलवार (1 नवंबर) को गुजरात के मोरबी के दौरे पर रहे. पीएम मोदी इस दौरान मच्छू नदी के किनारे जहां हादसा हुआ था वहां भी गए. पीएम मोदी के जाने से पहले पूरे इलाके का काया पलट हो गया था. हादसे वाली जगह पर उस कंपनी के नाम का बोर्ड लगा था जिसने पुल की मरम्मत का काम किया था. उस बोर्ड को सफेद चादर से ढक दिया गया. रविवार को हुए इस हादसे में अब तक 135 लोगों की जान चली गई है.
वहीं जिस अस्पताल में हादसे में घायल हुए लोग एडमिट हैं उसकी रंगाई पुताई करवा दी गई. इसके अलावा अस्पताल की चादरों को और बेड को भी बदल दिया गया. पीएम मोदी ने मंगलवार को घटना स्थल का दौरा करने के बाद अस्पताल में घायलों से मुलाकात की है. पीएम मोदी के घटना स्थल पर पहुंचने से पहले की गई इन तैयारियों को विपक्ष ने ‘इवेंट मैनेजमेंट’ करार दिया. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दो दशक से भी ज्यादा समय से गुजरात की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसका जवाब मांगा है कि बिना एनओसी मिले आपने पुल को समय से पहले कैसे खोल दिया?
समय से पहले खोल दिया गया था ब्रिज
इस पुल की मरम्मत का काम ओरेवा ग्रुप को दिया गया था जिसने पिछले सात महीनों के दौरान इसकी रेनोवेशन का काम किया. सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान कंपनी ने ब्रिज के कुछ पुराने केबल को नहीं बदला था. रेनोवेशन के लिए पुल मार्च से ही बंद कर दिया गया था. पिछले सप्ताह ही इस पुल को खोल दिया गया जबकि अभी इसका समय पूरा नहीं हुआ था. इस दौरान इस पुल के टिकट जो 12 रुपये थे 17 रुपये तक बेचे गए. पुल पर उसकी निर्धारित क्षमता से ज्यादा लोगों को जाने दिया गया. इन्हीं वजहों से ब्रिज महज 4 दिनों में ही टूट गया.
FIR में नहीं है कंपनी के मालिक का नाम
पूरे मामले में सरकार पर किसी को बचाने का आरोप लग रहा है. पुलिस की एफआईआर (FIR) में ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख भाई पटेल का नाम नहीं है. इस कंपनी ने स्थानीय नागरिक निकाय से फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं लिया था.