प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड ग्राउंड में मेगा रैली की। लाखों की तादाद में समर्थक पहुंचे और मोदी ने भी इस बात का विशेष रूप से जिक्र किया। बोले- ऐसा लग रहा है कि ये हुंकार सुनने के बाद कुछ लोगों को लग रहा होगा कि आज दो मई यानी विधानसभा चुनाव के नतीजों का दिन है। खचाखच भरे परेड ग्राउंड में मोदी करीब 68 मिनट तक बोले। ममता पर तंज कसा, वाम सरकारों को इतिहास याद कराया, जनता से वादे लिए और खुद भी संकल्प धारण किया। भीड़ से जोश में नारा लगवाया- जोर से छाप-TMC साफ।
हल्का-फुल्का अंदाज भी नजर आया। मोदी ने कहा, ‘ममता दीदी जब स्कूटी पर चलीं तो सभी ने प्रार्थना की कि कहीं चोट न लगे। पर दीदी की स्कूटी नंदीग्राम की तरफ मुड़ गई। अब स्कूटी ने नंदी ग्राम में ही गिरना तय कर लिया है तो हम क्या करें।’ दरअसल, ममता ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यहां TMC से भाजपा में आए शुभेंदु अधिकारी से उनका मुकाबला होगा। शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि ममता नंदीग्राम में 50 हजार वोटों से हारेंगी।
मोदी की 68 मिनट की मेगा स्पीच की अहम बातें
1. ब्रिगेड ग्राउंड का इतिहास काफी पुराना
बीते दशकों में ब्रिगेड ग्राउंड में अनेकों बार नारा गूंजा है कि ब्रिगेड चलो। इस ग्राउंड ने अनेक देश भक्तों को देखा है। ये ग्राउंड बंगाल के विकास में रोड़ा अटकाने वालों का भी गवाह रहा है। बंगाल की भूमि को 24 घंटे हड़ताल और बंद में झोंक देने वालों की नीतियां और साजिशें भी इस ग्राउंड ने देखी हैं। इन लोगों ने बंगाल की महान भूमि का जो हाल किया, वो पीढ़ी दर पीढ़ी बंगाल के लोगों ने सहा और बर्दाश्त किया है। ये बंगाल के लोगों की महानता है, इच्छाशक्ति है कि उन्होंने बंगाल में परिवर्तन की उम्मीदों को कभी छोड़ा नहीं है। परिवर्तन के लिए ममता दीदी पर भरोसा किया था, लेकिन दीदी और उनके काडर ने आपका भरोसा तोड़ दिया, आपके सपनों को चूर-चूर कर दिया।
2. बंगाल की धरती ने भारत का गौरव बढ़ाया
बंगाल की इस धरती ने हमारे आजादी के आंदोलन में नए प्राण फूंके और भारत का गौरव बढ़ाया। बंगाल से निकले महान व्यक्तित्वों ने एक भारत की भावना को सशक्त किया। इस धरती ने एक विधान, एक निशान, एक प्रधान के लिए बलिदान होने वाले सपूत दिए हैं। इस ग्राउंड के आसपास स्वामी विवेकानंदजी, सुभाष चंद्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मस्थान है।
3. बंगाल सोनार बांग्ला चाहता है
इन लोगों ने बंगाल की भूमि और उनकी बहन-बेटियों को अपमानित किया। ये बंगाल की उम्मीद को नहीं तोड़ पाए। ये जनसागर इस उम्मीद और उस हौसले की जीती-जागती तस्वीर है। बंगाल उन्नति, शांति, प्रगति और सोनार बांग्ला चाहता है। मैं देख रहा हूं कि इस बार के विधानसभा चुनाव में एक तरफ TMC है, कांग्रेस है, उनका बंगाल विरोधी रवैया है। दूसरी तरफ खुद बंगाल की जनता कमर कसकर के खड़ी हो गई है।
फोटो कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड की है, जहां दोपहर दो बजे से मोदी की मेगा रैली है। यहां आने वाले हर समर्थक को भाजपा का झंडा और टोपी दी जा रही है।
4. बंगाल में परिवर्तन का विश्वास दिलाने आया हूं
भारत माता के आशीर्वाद से सोनार बांग्ला का संकल्प जरूर सिद्ध होकर रहेगा। यहां आया हर आदमी, माताएं-बहनें-बेटियां, बंगाल का युवा आज बंगाल में असली बदलाव के लिए आया है यानी आसोल परिवर्तन। मैं इस ब्रिगेड ग्राउंड से आपको ही आशोल परिवर्तन का विश्वास दिलाने आया हूं। विश्वास बंगाल के विकास का, विश्वास बंगाल में स्थितियों को बदलने का, विश्वास बंगाल में निवेश बढ़ाने का, विश्वास बंगाल के पुनर्निर्माण का, बंगाल की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा का।
5. हमारी सरकार में बंगाल के लोगों का हित सर्वोपरि होगा
मैं विश्वास दिलाने आया हूं कि आपके लिए, नौजवानों-किसानों-उद्यमियों-बहनों और बेटियों के लिए हम 24 घंटे दिन-रात मेहनत से काम करेंगे। हम मेहनत करने में कोई कमी नहीं रखेंगे। हम पल-पल आपके लिए जिएंगे, हम पल-पल आपके सपनों के लिए जिएंगे। आपकी सेवा करेंगे, आपका आशीर्वाद लेंगे, आपका दिल सिर्फ चुनाव में नहीं हर पल जीतते रहेंगे। अपने काम, सेवा, समर्पण, परिश्रम के द्वारा हम ये करेंगे। भाजपा की जो सरकार बनेगी, उसकी नीतियों और निर्णयों में बंगाल के लोगों का हित सर्वोपरि होगा।
6. किसी का तुष्टिकरण नहीं होगा
आसोल परिवर्तन का मतलब युवाओं को शिक्षा और रोजगार के पर्याप्त अवसर, लोगों को पलायन को मजबूर न होना पड़े, व्यापार और कारोबार फले-फूले, ज्यादा से ज्यादा निवेश आए, 21वीं सदी का आधुनिका इन्फ्रास्ट्रक्चर हो, गरीब से गरीब को भी आगे बढ़ने का पूरा अवसर मिले, हर क्षेत्र, हर वर्ग की विकास में बराबर की भागीदारी हो। उत्तर बंगाल, दक्षिण बंगाल सभी पर बराबर ध्यान दिया जाएगा। सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास शासन का मंत्र होगा। उन्नयन सबका होगा, तुष्टिकरण किसी का नहीं होगा। घुसपैठ और घुसपैठियों को रोका जाएगा। गुलामी का इतना बड़ा कालखंड भी बंगाल के सामर्थ्य को कम नहीं कर सकता था। आजादी के 75 सालों में बंगाल ने जो खोया है, जो छीना गया है, वो मुझसे ज्यादा आप अच्छी तरह जानते हैं।