12 मार्च को नेहरू की तारीफ की थी
नई दिल्ली/ढाका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को 2 दिन के दौरे पर बांग्लादेश पहुंचे। यहां वे ढाका के नेशनल परेड स्क्वॉयर में नेशनल डे प्रोग्राम में शामिल हुए। मोदी ने अपने भाषण में बांग्लादेश की आजादी के दौरान इंदिरा गांधी की भूमिका की तारीफ की। इससे पहले, 12 मार्च को दांडी मार्च के लिए आयोजित कार्यक्रम में जवाहर लाल नेहरू की तारीफ की थी। इस तरह मोदी ने 14 दिन के अंदर नेहरू-इंदिरा दोनों की तारीफ की है। इससे पहले यही दोनों अलग-अलग मुद्दों को लेकर भाजपा के निशाने पर रहे हैं।
ढाका में मोदी ने कहा, ‘आज का यह अवसर बंगबंधु के विजन और आदर्शों को याद करने का दिन है। ये समय चिरोविद्रोही को, मुक्ति युद्ध की भावना को फिर से याद करने का समय है। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के लिए भारत के कोने-कोने से, हर पार्टी से, समाज के हर वर्ग से समर्थन था। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधीजी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है। उसी दौर में 6 दिसंबर 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपनी जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, बल्कि इतिहास को नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं।’
मोदी ने कहा, ‘मैं आज याद कर रहा हूं बांग्लादेश के लाखों बेटे-बेटियों को, जिन्होंने अपने देश, भाषा और संस्कृति के लिए अनगिनत अत्याचार सहे। अपना खून दिया। अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। इसी साल भारत-बांग्लादेश मैत्री के 50 साल पूरे हो रहे हैं। बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशती का यह वर्ष दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत कर रहा है। बंगबंधु ने बांग्लादेश और यहां के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। भारतीयों के लिए गौरव की बात है कि उन्हें गांधी शांति सम्मान देने का अवसर मिला।’
बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को दिया गया गांधी शांति पुरस्कार मोदी ने उनकी छोटी बेटी शेख रेहाना को सौंपा।
बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को दिया गया गांधी शांति पुरस्कार मोदी ने उनकी छोटी बेटी शेख रेहाना को सौंपा।
बांग्लादेश की आजादी के लिए भारतीय जवानों ने खून बहाया
‘बांग्लादेश में आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बह रहा है। यह रक्त ऐसे संबंधों का निर्माण करेगा जो किसी भी दबाव से टूटेंगे नहीं, जो किसी भी कूटनीति का शिकार नहीं बनेंगे। हमारे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि शेख मुजीबुर रहमान का जीवन धैर्य और आत्मसंयम का प्रतीक है। यह सुखद संयोग है कि बांग्लादेश की आजादी के 50 वर्ष और भारत की आजादी के 75 वर्ष के पड़ाव एक साथ आया है। दोनों ही देशों के 21वीं सदी में अगले 25 वर्षों का यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है। हमारी विरासत साझा है, हमारा विकास भी साझा है, हमारे लक्ष्य भी साझा हैं और हमारी चुनौतियां भी साझा हैं।’
आतंकवाद के खतरे से चेताया, मिलकर मुकाबला करने की अपील
‘हमें याद रखना है कि कारोबार में हमारे लिए एक जैसी संभावनाएं हैं तो आतंकवाद जैसे समान खतरे भी हैं। जो सोच और शक्तियां इस प्रकार की अमानवीय घटनाओं को अंजाम देती हैं वे अब भी सक्रिय हैं। हमें उनसे सावधान भी रहना है और मुकाबला करने के लिए संगठित भी रहना होगा। हम दोनों देशों के पास लोकतंत्र की ताकत है। आगे बढ़ने का विजन है। भारत और बांग्लादेश एक साथ मिलकर आगे बढ़ें। यह इस क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी है।’
मोदी बोले- बांग्लादेश की आजादी के लिए मैंने भी सत्याग्रह किया था
‘बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक है। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी। मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में मैंने गिरफ्तारी दी थी। जेल जाने का भी अवसर आया था। बांग्लादेश की आजादी के लिए जितनी तड़प इधर थी, उतनी ही उधर भी थी। यहां पाकिस्तान की सेना ने जो जघन्य अपराध और अत्याचार किए, वो तस्वीरें विचलित करती थीं, उन्होंने कई दिन तक सोने नहीं दिया।’