PhonePe के CEO ने कर्नाटक सरकार के फैसले को बताया शर्मनाक, सोशल मीडिया पर वायरल हुई पोस्ट

नई दिल्ली: PhonePe के CEO और फाउंडर समीर निगम ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट की है। इसमें उन्होंने कर्नाटक सरकार के उस फैसले को शर्मनाक बताया है जिसमें राज्य में प्राइवेट नौकरी में स्थानीय लोगों को 100 फीसदी आरक्षण देने की बात कही गई थी। हालांकि इस फैसले पर बवाल के बाद कर्नाटक सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया, लेकिन इस पर विवाद काफी फैल गया है। इसी को लेकर समीर निगम ने पोस्ट की है। इसमें उन्होंने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए। उनकी यह पोस्ट वायरल हो गई है।

समीर निगम ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि मैं 46 साल का हूं। पिछले 15 साल से ज्यादा किसी राज्य में नहीं रहा। मेरे पिता इंडियन नेवी में थे और देशभर में उनकी पोस्टिंग रही। समीर ने पोस्ट ने लिखा है कि क्या उनके बच्चे कर्नाटक में नौकरी के लायक नहीं हैं? उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा है, ‘मैंने कंपनी बनाई और देशभर में 25 हजार से ज्यादा जॉब पैदा कीं। क्या मेरे बच्चे गृह नगर में जॉब के लायक नहीं हैं? यह शर्मनाक है।’ बता दें कि समीर इस समय बेंगलुरु (कर्नाटक) में रहते हैं और उनकी कंपनी का हेडक्वार्टर भी बेंगलुरु में है।

Sameer.Nigam
@_sameernigam

I am 46 years old. Never lived in a state for 15+ yrs

My father worked in the Indian Navy. Got posted all over the country. His kids don’t deserve jobs in Karnataka?

I build companies. Have created 25000+ jobs across India! My kids dont deserve jobs in their home city?

Shame.
8:48 PM · Jul 17, 2024
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क्या था सरकार का आरक्षण संबंधि बिल?
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने राज्य की प्राइवेट कंपनियों में स्थानीय (कन्नड़) लोगों को 100 फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी। ये नौकरियां ग्रुप C और D पदों के लिए थीं। मुख्यमंत्री सीएम सिद्धारमैया की कैबिनेट ने मंगलवार को इस विधेयक को मंजूरी दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया में इसका ऐलान भी किया था। हालांकि अगले ही दिन यानी बुधवार को सिद्धारमैया सरकार इस फैसले को लेकर उद्योग जगत के लोगों के निशाने पर आ गई थी। इसके बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। सिद्धारमैया ने कहा कि वह फैसले की समीक्षा करेगी। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

क्या बातें थी बिल में?

कर्नाटक सरकार ने जिन स्थानीय लोगों को नौकरी देने की बात कही थी, उसमें स्थानीय से मतलब है कि वह कर्नाटक में जन्मा हो और 15 साल से कर्नाटक में रह रहा हो।
उस शख्स की कन्नड़ भाषा पर पकड़ अच्छी हो। उसे कन्नड़ बोलना, पढ़ना और लिखना आता हो।
अगर कंपनी को योग्य स्थानीय उम्मीदवार नहीं मिलता है तो उसे छूट के लिए सरकार के समक्ष आवेदन करना होगा।
सरकारी एजेंसी प्राइवेट कंपनियों की जांच करेगी। अगर कोई नियम तोड़ता है तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकेगा।

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