नई दिल्ली
पेगासस फोन हैकिंग विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। मामले में फिर एक बड़ा दावा हुआ है। इसमें कहा गया है कि फोन हैकर्स के निशाने पर राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, अभिषेक बनर्जी, रंजन गोगई, अशोक ल्वासा के साथ केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के नाम थे। दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों के कंसोर्टियम ने रविवार को एक रिपोर्ट छापी थी। इसके बाद हलचल मच गई थी। दावा किया गया है कि भारत समेत कई देशों की सरकारों ने 150 से ज्यादा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी कराई।
इसके लिए इजरायल के NSO ग्रुप के ‘पेगासस’ स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कम से कम 38 लोगों की निगरानी की गई। हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
देश के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन शोषण के आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व स्टाफर भी फोन हैकिंग केस में टारगेट थी। द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्टाफर के तीन फोन नंबर पर निगरानी रखी गई थी। इसके लिए अज्ञात भारतीय एजेंसी ने इजराइली स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया था। पेगासस बनाने वाले कंपनी NSO ग्रुप के संभावित ग्राहकों की लिस्ट में इस भारतीय एजेंसी का नाम है।
इससे पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के फोन भी हैक किए गए थे। रविवार रात को द वायर की तरफ से जारी रिपोर्ट के अगले हिस्से में इसका खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि न सिर्फ कांग्रेस के नेता बल्कि केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल और संसद में सरकार का बचाव करने वाले IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव के फोन भी हैकिंग टारगेट थे।
संसद में भी फोन टेपिंग पर जमकर बवाल
इससे पहले, इजराइली कंपनी के पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए फोन टेपिंग की रिपोर्ट पर सोमवार को संसद में जमकर बवाल हुआ। कांग्रेस ने पत्रकारों समेत दूसरी हस्तियों के फोन टेपिंग की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की। सरकार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट में लीक हुए डेटा का जासूसी से कोई लेना-देना नहीं है। 16 मीडिया समूहों की साझा पड़ताल के बाद जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए सरकार पत्रकारों समेत जानी-मानी हस्तियों की जासूसी करा रही है।