रांची, झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन ने सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को पत्र लिखा है। पत्र में एसोसिएशन की तरफ से लिखे पत्र में राज्य सरकार से अपने हिस्से के डीजल पर लगने वाले वैट को कम करने का आग्रह किया गया है। एसोसिएशन ने बताया कि झारखंड में प्रतिमाह डीजल की औसतन बिक्री एक लाख 35 हजार किलो लीटर है।
वर्तमान में झारखंड में डीजल पर 22 प्रतिशत वैट और प्रति लीटर एक रुपये सेस प्रभावी है।
वहीं पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में वैट कम होने की वजह से झारखंड में स्थापित उद्योगों द्वारा प्रतिमाह 30 हजार किलो लीटर डीजल की आयात कर रहे हैं। एसोसिएशन के द्वारा बताया गया है कि पहले फार्म सी के प्रावधान के कारण केवल 2 प्रतिशत टैक्स का भुगतान कर झारखंड के उद्यमी पड़ोसी राज्यों से रियायती दर पर डीजल का उठाव करते थे। मगर बाद में केंद्र सरकार द्वारा इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया। इससे राज्य के पेट्रोलियम उत्पाद विक्रेताओं में ऐसी उम्मीद जगी कि पड़ोसी राज्यों से आयात कम हो जाएगा।
मगर ऐसा नहीं हुआ। इससे झारखंड को मिलने वाली कर की राशि पड़ोसी राज्य को जा रही है। पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुझाव दिया है कि झारखंड में वैट की दर को घटाकर इसे बंगाल के समतुल्य किया जाए, ताकि पड़ोसी राज्य बंगाल से डीजल के आयात पर स्वतः विराम लग जाए। इससे सभी उद्यमी झारखंड से ही डीजल का उठाव और खपत करेंगे। इससे राज्य सरकार को उचित कर प्राप्त होगी।