कहा, इसकी वजह पिछली यूपीए सरकार की ऑयल बॉन्ड योजना है
5 साल में इसके ब्याज के रूप में 70,195.72 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान
ऑयल बॉन्ड का बोझ नहीं होता तो सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती करती
नई दिल्ली
देश में पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को दोटूक कहा कि अभी ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कम करने का सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि पिछली यूपीए सरकार ऑयल बॉन्ड (Oil bonds) लेकर आई थी और सरकार को उसके ब्याज का भुगतान करना पड़ रहा है।
सीतारमन ने कहा कि सरकार पिछले 5 साल में ऑयल बॉन्ड के ब्याज के रूप में 70,195.72 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर चुकी है। अब भी सरकार को 2026 तक 37,000 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना है। ब्याज भुगतान के बावजूद 1.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक का मूलधन अब भी बकाया है। अगर सरकार पर ऑयल बॉन्ड का बोझ नहीं होता तो वह फ्यूल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने की स्थिति में होती।
यूपीए सरकार की चालबाजी
वित्त मंत्री ने कहा, ‘यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बॉन्ड्स जारी करके तेल की कीमतों में कमी की थी। मैं यूपीए सरकार की तरह चालबाजी नहीं कर सकती हूं। ऑयल बॉन्ड्स के कारण हमारी सरकार पर बोझ पड़ा है। यह वजह है कि हम पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती करने में असमर्थ हैं। उल्लेखनीय है कि देश की कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के पार पहुंच चुकी है जबकि डीजल की कीमत 90 रुपये के आसपास है।
देश में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में पिछले 29 दिनों से कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिल्ली के बाजार में इंडियन ऑयल (IOC) के पंप पर पेट्रोल 101.84 रुपये प्रति लीटर और डीजल 89.87 रुपये प्रति लीटर चल रहा है। लेकिन बीते चार मई से इसकी कीमतें खूब बढ़ी। कभी लगातार तो कभी ठहर कर, 42 दिनों में ही पेट्रोल 11.52 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ। हालांकि, हरदीप सिंह पुरी के पेट्रोलियम मंत्री बनने के बाद बीते 18 जुलाई से इसके दाम स्थिर हैं।
कब तक दूर होंगी नए पोर्टल की खामियां
वित्त मंत्री ने कहा कि इनकम टैक्स विभाग के नए पोर्टल की खामियों को अगले 2-3 हफ्तों में दूर कर लिया जाएगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने जून में अपना नया पोर्टल लॉन्च किया था। तब इस पोर्टल में कई तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायतों आई थीं। पोर्टल 7 जून को www.incometax.gov.in नाम ने शुरू हुआ था। लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के चलते लोग इस पर दी गई सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे थे।