Jamshedpur,25 July : शांति समितियों का गठन Community और civil society की प्रशासनिक भागीदारी और समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने का एक असरदार तरीका हो सकता था लेकिन थाना स्तर पर इसमें दलालों की पैठ का कितना बुरा परिणाम सामने आ रहा है, यह Telco थाना क्षेत्र में एक ऐसे ही दलाल के क्रियाकलापों से दिख रहा. भ्रष्ट थानेदारो का एजेंट बन कर ऐसे दलाल civil society को ही परेशान करने लग जाते हैं जो गुंडा बदमाश से अधिक खतरनाक होते हैं, क्योंकि उनकी पहुंच थाना की पुलिस में हो गयी रहती है. Telco और Birsanagar थाना क्षेत्र में इस दलाल ने जो जो हरकतें की हैं वह पूरी सोसाइटी और जिला तथा पुलिस प्रशासन को शांति समितियों के गठन और उनकी भूमिका पर गंभीरता से विचार के लिए घंटी बजा रही हैं . फ़िलहाल इस दलाल पर बिरसा नगर थाना में इसी महीने जो FIR दर्ज हुआ उसकी कहानी तो” देख जुआडी आपन दाव” वाली देहाती कहावत चरितार्थ करती है. जब तक थानेदार से दोस्ती रही और कमाई में हिस्सा का हिसाब मिलता रहा तब तक “मूँदहू आँख कतहू कुछ नाहीं ” का दोहा गुनगुनाया जाता रहा . जहां दलाल द्वारा हिसाब और लेन देन में चालाकी हुई कि थानेदार ने मुकदमा दर्ज कर साहब से वाहवाही लेने का रिकॉर्ड तैयार कर दिया ,भले तब तक साहब की भृकुटी तन चुकी थी. अफसोस और चिंताजनक पहलू है कि बड़े साहब ने ही शिकायतकर्ता को थाने में
भेजा था लेकिन उस समय तक साहब से ज्यादा भारी दलाल का पलडा थानेदार को दिख रहा था. काश थानेदार ने सही समय पर उस दलाल के विरुद्ध दर्ज शिकायत पर FIR कर दिया होता तब बुजुर्ग राय – दंपति को अपने घर मकान से हाथ नहीं धोना पड़ता और दलाल उसपर कब्जा नहीं कर पाया होता . दलाल ने थानेदार की मदद और अपने सूद खोरी के पैसों की ताकत पर राय दंपति को बुरी तरह ठगा और थानेदार मूक दर्शक बना रहा. इस ठगबाजी में थानेदार को एक लाख रुपया का हिस्सा जब नहीं मिला तब उसने FIR का हथियार चलाया जो पीड़ित आदमी का सर्वप्रथम कानूनी अधिकार था जिससे थानेदार ने उसको वंचित किया. यह बात दीगर है कि बाद में इस दलाल के दोनों थानेदार आकाओं को थाने से ऊपर के अधिकारी ने बेआबरू करके पुलिस लाइन का रास्ता दिखा दिया.
क्या यही शांति समितियों की भूमिका हो सकती है ? दारोगा तो ‘दो रोकर या गाकर ‘के लिए विख्यात होते हैं, civil society से आने वाले शांति समिति के किसी सदस्य को भी ऐसा ही दारोगा बनने का शौक हो जाना चाहिए ?
शांति समिति में सूदखोर, शराब और साकी, सुरा-सुंदरी की सुविधा उपलब्ध कराने वाले दागी लोगों की जगह होनी चाहिए ?
Telco थाना में एक साल पहले तक रहने वाले एक ” चरित्र और आचरण” को लेकर चर्चित कमंडल बाबु के समय क्या क्या गुल खिला उसकी अलग फेहरिस्त है.
यह सब कारनामे तो नमूना मात्र हैं जो Telco थाना के रण बांकुरे और Birsanaggar की वादियों में सबको प्रभात वेला में उठाकर मंदिर दर्शन कराने के लिए सुप्रसिद्ध हुए बाबु के समय के हैं. “हरि अनंतहरि कथा अनंता ” की तरह 🕉 -ओम का जप करते रहें. भगवान ही न्याय करेंगे. तब तक दलाल के कारनामे रोज सामने आते रहेंगे और आपके भीतर शायद 🕉- ओम के साथ विरोध के स्वर भी उठाने का कहीं साहस पैदा कर देंगे. दुर्गा पूजा और राम नवमी में सक्रिय हो कर किए जाने वाले कारनामे तो अभी अछूते हैं जब DC तक को इसके विरुद्ध लिखा पढ़ी करनी पडी थी.नीचे एक झलक