चांडिल। चांडिल डैम स्थित शीशमहल में तीन दिन से चल रही पातकोम दिशोम मांझी पारगाना महाल का महासम्मेलन का आज समापन हुआ। यहां पातकोम दिशोम मांझी पारगाना महाल के चांडिल, नीमडीह, ईचागढ़, कुकडू आदि विभिन्न इलाकों से मांझी हाड़ाम, नायके गोडेत,भद्द, पराणिक शामिल हुए। वहीं, झारखंड प्रांत से सटे बंगाल व ओडिशा आदि राज्य के संथाल संथाल समाज के बुद्धिजीवियों व गण्य मान्य अतिथियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में पहुंचने वालों का महिलाओं ने पारंपरिक रीति रिवाज से स्वागत किया। इस दौरान संथाल समुदाय की महिला व पुरूष ने पारंपरिक परिधान पहनकर मनमोहक नृत्य किया। इस तीन दिवसीय महासम्मेलन में आदिवासी स्वशासन व्यवस्था, रुढ़िवादी प्रथा, पांचवीं अनुसूची, सीएनटी – एसपीटी एक्ट आदि विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर विचार – विमर्श किया। वहीं, समाज के उत्थान पर जोर देने का निर्णय लिया। कार्यक्रम में मौजूद समाज के अगुवा नेताओं ने झारखंड सरकार से मांग किया कि राज्य के सभी सरकारी व गैरसरकारी विद्यालयों में ओलचिकी लिपि की पढ़ाई हो। वहीं, पारंपरिक जाहेरा थान को घेराबंदी स्वशासन व्यवस्था को कायम किया जाय। पातकोम दिशोम मांझी पारगाना महाल के चूडामुनि बाबा (पारगाना बाबा) रामेश्वर बेसरा ने कहा कि संथाल समाज की रूढिप्रथा व्यवस्था कायम रहे और सभी विद्यालयों में संथाली भाषा की पढ़ाई अभिलंब शुरू हो। महासम्मेलन में ईचागढ़ विधायक सबिता महतो ने भी शिरकत की। विधायक ने अपने संबोधन में संथाल समाज के उत्थान की बात की। वहीं, ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के सभी जाहेर थान की घेराबंदी कर अपने पारंपरिक व्यवस्था को बचाने की अपील की। इस मौके पर पातकोम दिशोम मांझी पारगाना महाल के सचिव श्यामल मार्डी, कुनाराम सोरेन, सुधीर किस्कू, शंकर हेम्ब्रम, प्रफुल्ल मुर्मू, भरावन मार्डी, सुदामा हेम्ब्रम, बुद्धेश्वर किस्कू, सुखलाल मुर्मु, जगन्नाथ किस्कू, देवेन बेसरा, ठाकुरदास सोरेन, विक्रम मार्डी, आदि मौजूद थे।