नई दिल्ली 15 july
18 जुलाई से मानसून सत्र शुरू होने वाला है। इससे बीच राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी ने एक नया आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि संसद में किसी भी तरह के धरने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सांसद किसी भी प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, अनशन या किसी भी तरह के धार्मिक समारोह संसद भवन के परिसर में नहीं कर सकेंगे। राज्यसभा महासचिव ने इसके लिए सदस्यों का सहयोग भी
मांगा है। इससे पहले बुधवार को लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्दों की लिस्ट जारी की थी।
जयराम रमेश ने ट्वीट करके तंज कसा
आप नेता बोले- तानाशाही नहीं बोल सकते तो मोदीशाही बोल देंगे
आप नेता संजय सिंह ने भी केंद्र सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा कि संसद में कई शब्दों पर रोक लगा दी गई है। अब इन शब्दों के पर्यायवाची निकाल लिए गए हैं। तानाशाही नहीं बोल सकते तो मोदीशाही बोल देंगे। दादागिरी की जगह मोदी-शाहगिरी बोल देंगे।
उन्होंने ऐसे ही कुछ शब्दों के पर्यायवाची बोलकर कहा अगर आप इन चीजों पर रोक लगाना चाहते हैं और चाहते हैं कि हम लोग ये बातें नहीं बोल सकते, तो इसके बोलने के कई तरीके हैं। उन तरीकों का हम इस्तेमाल करेंगे। हमारी आवाज को दबाने की कोशिश मत कीजिए।
महुआ मोइत्रा बोलीं- गांधी जी की प्रतिमा को परिसर से क्यों नहीं हटा देते टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी नए आदेश की आलोचना की। उन्होंने कहा कि क्यों ना गांधी जी की प्रतिमा को परिसर से हटा दिया जाए और आर्टिकल 19(1)A को भी मिटा दिया जाए।
असंसदीय शब्दों की लिस्ट जारी
इससे पहले लोकसभा सचिवालय ने बुधवार को संसद के मानसून सत्र से पहले एक पुस्तिका जारी की। इसमें उन शब्दों की लिस्ट है, जिन्हें अब दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में ‘असंसदीय’ माना जाएगा।
इन शब्दों पर बैन
संसद में बहस के दौरान अगर सांसद जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर, स्नूपगेट, शर्मिंदा, रक्तपात, खूनी, धोखा, शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, धोखा, चमचा, चमचागिरी, बचकाना, भ्रष्ट, कायर, मगरमच्छ के आंसू, अपमान, गधा, गुंडागर्दी, पाखंड, अक्षम, झूठ, असत्य, गदर, गिरगिट, गुंडे, अहंकार, काला दिन, दलाल, दादागिरी, दोहरा चरित्र, खरीद-फरोख्त, बेचारा, लॉलीपॉप, विश्वासघात, संवेदनहीन, मूर्ख, बहरी सरकार, यौन उत्पीड़न, चिलम लेना, कोयला चोर, ढिंढोरा पीटना, अराजकतावादी, शकुनि, तानाशाही, जयचंद, विनाश पुरुष, खालिस्तानी, बॉबकट, खून से खेती, निकम्मा, नौटंकी जैसे शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं तो इन्हें असंसदीय माना जाएगा।
बुकलेट के निकलते ही कुछ विपक्षी नेताओं ने प्रतिबंधों को बेवजह बताते हुए केंद्र पर हमला बोल दिया। तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन ने लोकसभा सचिवालय के इस फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने कहा, ‘मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करना जारी रखूंगा।
कांग्रेस (Congress) और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने संसद परिसर में धरना, हड़ताल और धार्मिक समारोहों की मनाही से जुड़े एक बुलेटिन पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे तुगलकी फरमान करार दिया है. इसके बाद लोकसभा (Lok Sabha) के स्पीकर ओम बिरला (Om Birla) ने कहा है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है.
उन्होंने कहा, ”ये पहले से चली आ रही प्रक्रिया है. मेरी प्रार्थना है कि बिना तथ्यों के जानकारी के आरोप प्रत्यारोप से बचना चाहिए. सभी राजनीतिक दलों से आग्रह है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बिना तथ्यों के आरोप प्रत्यारोप नहीं करना चाहिए.”