”मंजिल पर सफलता का निशान चाहिए, होंठों पे खिलती हुई मुस्कान चाहिए, बहलने वाले नहीं हम छोटे से टुकड़े से, हमें तो पूरा का पूरा आसमान चाहिए” ऐसा प्रेरक कथन को दिल में सजाकर भरत जीत महतो ने चित्रकारी के आसमां में सफलता का परचम लहराया। कहा जाता है कि कला मनुष्य को दिया हुआ ईश्वर का अमूल्य उपहार है। सभी मनुष्यों में कुछ ना कुछ कला है। जरूरत है उसे पहचान कर निखारने की। यह कहावत शत प्रतिशत सही है। इसका उदाहरण है सरायकेला खरसावां जिला के नीमडीह प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र में स्थित लावा गांव निवासी भरत जीत महतो। इस गांव में न आवागमन की सुविधा है और न ही किसी तरह के आधुनिक संसाधन। साधनविहीन इस सुदूरवर्ती गांव के निवासी शशिधर महतो के पुत्र भरत जीत महतो के हाथों में चित्रकारी का बेमिसाल हुनर है।
भरत जीत ने अपने हुनर को पहचानते हुए निखारने का काम किया। जिसके फलस्वरूप भरत जीत का नाम ”एशिया बुक ऑफ रिकॉर्डस” व ”इंडिया बुक ऑफ रिकार्डस” में दर्ज हुआ। अधिकृत संस्था ने उन्हें प्रमाण पत्र व मेडल देकर सम्मानित किया। यह अवार्ड पाने वाले वे झारखंड – बिहार के प्रथम ”पत्ते चित्रकार” है। वे पीपल, बरगद व केला के पत्तों पर चित्रकारी करते हैं। भरत ने भारत के महान विभूति प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद से वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के चित्र बरगद के पत्ते पर काफी आकर्षक रूप से उकेरा। इसके अलावा देश-विदेश के महान व्यक्तियों का भी चित्र बनाया। साथ ही भारत के 12 ऐतिहासिक धरोहर ताजमहल (आगरा), इंडिया गेट (दिल्ली), चार मीनार (हैदराबाद), मैसूर पैलेस (मैसूर), गेट वे ऑफ इंडिया (दिल्ली), रेड फोर्ट (दिल्ली), अमर जवान ज्योति (दिल्ली), लोटस टेंपल (दिल्ली), बीबी का मकबरा (औरंगाबाद) व कुतुब मीनार (दिल्ली) का चित्र पत्तों पर बनाया है।
पत्तों पर चित्रकारी सीखने के संबंध में भरत ने कहा कि यह कला केरल राज्य में अधिक प्रचलित है। उन्होंने कहा कि विगत लॉक डाउन में कॉलेज बंद रहने के दौरान फुर्सत के समय यूट्यूब द्वारा केरल के कलाकारों से संपर्क स्थापित कर इस कला की बारीकियां सीखा। वे कहते हैं कि ब्लेड द्वारा पत्ते को काटकर कलाकृतियां बनाया जाता है।