झारखंड के पूर्वी सिंहभूम में वैध माइनिंग चालान लेकर भी वाहन मालिक भय के साए में गाडिय़ों का परिवहन कर रहे है कि पता नहीं कब कौन अधिकारी वाहन को जब्त कर थाना में लगा देगा। मुख्यमंत्री के अवैध खनन परिवहन रोकने के आदेश की आड़ में अधिकारियो का मनमर्जी रवैया चल रहा है। थानेदार से लेकर सिपाही तक खुद को माइनिंग अधिकारी और परिवहन अधिकारी मान कर चल रहे है। जब मन किसी किसी की भी गाड़ी को रोककर कागजात की की जांच की जाने लगती है । वैध चालान रहने के बावजूद गाडियों को जांच के नाम पर थाना में लगवा दिया जाता है और कई कई दिन तक गाड़ी थाना में पड़ा रहता है । वाहन मालिको का कहना है कि वैध चालान एवं कागजात रहने के बावजूद वाहन संचालको को प्रशासन परेशान कर रहा है।
जब अधिकारियो द्वारा जांच के लिए वाहनों को रोका जाता है तो हम उन्हें ऑनलाइन चालान की कॉपी दिखाते हंै परन्तु अधिकारी जांच के नाम पर वाहनों को थाना में लगा देते है और गाड़ी को थाना से छोडऩे की प्रक्रिया में कई कई दिन लग जाते है । ऐसे में आंखिर ऑनलाइन माइनिंग चालान का क्या मतलब ? वाहन मालिकों का कहना है कि कोई अधिकारी हमें यह बताये ? वाहन मालिको ने कहा कि जब ऑनलाइन चालान है तो जो अधिकारी वाहन की जांच करते हैं उसी समय ऑनलाइन चालान की भी जांच करें चालान में क्यूआर कॉड होता है उससे आसानी से सही गलत की जांच हो सकती है। उनका कहना है कि चूंकि अधिकारियो की मंशा वाहन मालिको को परेशान करने की रहती है एक वाहन मालिक ने बताया की वैध कागजात रहने के बावजूद प्रशाशनिक अधिकारियो द्वारा थाना में गाड़ी लगा दी जाती हैै क्योंकि उनके द्वारा अपने ऊपर के बड़े अधिकारियो को दिखाया जाता है हम अवैध परिवहन रोकने का लिए कितना काम कर रहे है /