बात साल 2010 की है। नेमानी प्रणव और उनकी बहन सुचिता अपने पिता मोहन के साथ आंध्र प्रदेश के यू कोथापल्ली बीच घूमने गए थे। जहां उन्होंने सत्तैया नाम के मूंगफलीवाले से मूंगफलियां खरीदी। हालांकि, जल्द ही मोहन को एहसास हो गया कि वो अपना बटुआ भूल गए हैं, और उनके पास मूंगफलीवाले को देने के लिए पैसे ही नहीं हैं।
उधार चुकाने का किया वादा
हालांकि, सत्तैया ने पैसे के लिए ज्यादा दबाव नहीं डाला और उन्हें मूंगफली फ्री में दे दी। लेकिन मोहन ने वादा किया कि वो जल्द ही उनका उधार चुका देंगे और सत्तैया की एक तस्वीर भी खींच ली। पर वह जल्दी उधार चुकाने वाला वादा पूरा नहीं कर सके। क्योंकि वे एनआरआई (NRI) थे, और उन्हें कुछ दिनों की यात्रा के बाद ही अमेरिका लौटना पड़ा।
जब 11 साल बाद भारत लौटे
अब जब लगभग 11 साल बाद, नेमानी अपनी बहन सुचिता के साथ वापस भारत आए तो उन्होंने फैसला किया कि वो उस मूंगफलीवाले को ढूंढकर अपना उधार चुकाएंगे। उनके पिता मोहन भी मूंगफलीवाले के पैसे लौटाने को लेकर काफी उत्सुक थे। इसलिए उन्होंने सत्तैया का पता लगाने के लिए काकीनाडा ( शहर के विधायक चंद्रशेखर रेड्डी की मदद ली।
सत्तैया के परिवार को दिए 25 हजार
मोहन की गुजारिश के बाद विधायक ने तुरंत फेसबुक पर सत्तैया की तलाश में एक पोस्ट डाली, जिसके बाद उनके पैतृक गांव नगुलापल्ली के कुछ लोग विधायक के पीए के पास पहुंचे और बताया कि सत्तैया अब इस दुनिया में नहीं रहे। ऐसे में नेमानी और सुचिता ने उनके परिवार को 25,000 रुपये की राशि देने का फैसला किया।