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क्या नोटबंदी पर सुप्रीम में बढऩे वाली है सरकार की टेंशन
नई दिल्ली
नोटबंदी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से हलफनामा के जरिए जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील पी. चिदंबरम ने दलील दी कि केंद्र का आरबीआई को इस बारे में लिखे लेटर, आरबीआई की सिफारिश आदि से संबंधित दस्तावेज मांगा जाए। साथ ही कहा कि आरबीआई एक्ट के तहत केंद्र सरकार को पूरे करेंसी नोट रद्द करने का अधिकार नहीं है। इस दलील के मद्देनजर हलफनामा पेश करने को कहा गया है।
हमें अपनी लक्ष्मण रेखा पता है- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह हलफनामा दायर कर जरूरी दस्तावेज के बारे में भी जानकारी मुहैया कराए। कोर्ट ने कहा कि वह आरबीआई के बोर्ड मीटिंग के दस्तावेज देखना चाहेगी जो नोटबंदी से पहले हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह अपनी लक्ष्मण रेखा जानते हैं। सरकार के नीतिगत फैसले के मामले में ज्यूडिशियल रिव्यू का दायरा क्या है यानी उनकी लक्ष्मण रेखा क्या है उससे वह अवगत हैं।
ये जज कर रहे थे सुनवाई
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने कहा कि जब कोई मामला संविधान पीठ के समक्ष लाया जाता है, तो उसका जवाब देना पीठ का दायित्व बन जाता है। संविधान पीठ में जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रमासुब्रमण्यम और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना भी शामिल थे।
नोटबंदी याचिका पर हमारी भी जिम्मेदारी है
नोटबंदी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि नोटबंदी के खिलाफ दाखिल याचिका सिर्फ एकेडमिक (बैद्धिक बहस) बहस के लिए नहीं रह गया है कि बल्कि मेरिट पर बहस जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि यह मामला सिर्फ एकेडमिक न हो। सुप्रीम कोर्ट की ड्यूटी है कि जो सवाल उन्हें रेफर किए गए हैं उसका वह जवाब दे। सुप्रीम कोर्ट इस फैसले का परीक्षण करेगा ताकि पता चले कि यह केवल एकेडमिक बहस तो नही था?
जानिए, याचिका में क्या-क्या
मामले की सुनवाई के दौरान याची के वकील पी. चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के कारण लोगों का जीवनयापन का जरिया जाता रहा। लोगों की नौकरी चली गई और लोग बेरोजगार हो गए। अगर नोटबंदी करना था तो बैकअप में कैश होना चाहिए था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को भारी कठिनाई हुई है और यह हम देख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट को चिदंबरम ने कहा कि क्या इस फैसले के लिए विवेक का इस्तेमाल किया गया? क्या यह अपनी मर्जी का फैसला नहीं था? दस्तावेज का अवलोकन होना चाहिए। सरकार ने जो आरबीआई को एडवाइस किया उससे संबंधित दस्तावेज देखे जाएं। केंद्र सरकार का
आरबीआई को लिखा लेटर, आरबीआई की सिफारिश आदि से संबधित दस्तावेज देखा जाए। आरबीआई एक्ट की धारा 26 (2) के तहत केंद्र नोट की कुछ सीरीज को रद्द कर सकती है पूरे करेंसी को नहीं।
आरबीआई के बोर्ड की बैठक के दस्तावेज भी मांगे जाए। संसद में भी यह दस्तावेज नहीं दिखाए गए। सुप्रीम कोर्ट शीर्ष अदालत है यहां देखा जाए।