नामांकन के दौरान कौन कितने पास और रहे कितने दूर —– समाहरणालय से आंखों देखी

झारखंड विधान सभा चुनाव को लेकर आज का दिन काफी खास कहा जाएगा। आज जमशेदपुर समाहरणालय में चार विधान सभा सीटों के लिये हेवी वेट माने जाने वाले प्रत्याशियों के नामांकन के दौरान भारी गहमागहमी रही। राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों का मानना होता है कि नामांकन के दौरान होने वाला शक्ति प्रदर्शन उनको वोट दिलाने में सहायक होता है। मीडिया वाले भी इसी भीड़ के आधार पर प्रत्याशियों और दल की ताकत का आकलन करते हैं। इस ख्याल से भी यह दिन पूर्वानुमान लगाने, आकलन करने के लिये काफी अहम हो जाता है। मतदाताओं के मन में क्या है, यह किसी को पता नहीं होता लेकिन कार्यकर्ताओं और समर्थकों का उत्साह भी काफी मायने रखता है। इसी का जायजा लेने के लिये करीब सुबह से ही समारहणाल के पास मौजूद रहकर काफी कुछ आकलन करने का मौका मिला। इस दौरान जो हालात थे वह काफी कुछ वयां कर देते हैं। 23 अक्टूबर के उलट आज का नजारा काफी भिन्न था। कल जहां पुलिस वाले किसी को बेरिकेंटिंग के आगे फटकने नहीं दे रहे थे, आज बेरिकेंटिंग किसी के लिये बाधक नहीं था। लोग आसानी से आ जा रहे थे। टोका टोकी नहीं हो रही थी।

आज के दिन को नामांकन के लिये शुभ माना गया था और इसका असर यह रहा कि आज पूरे जिले में 49 नामांकन हुए । कल केवल 16 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। पूरे राज्य में बड़ी संख्या में प्रत्याशियों ने खास को तौर पर हैवीवेट माने जाने वाले प्रत्याशियों ने नामांकन किया । आज का दिवस किसके लिये शुभ होगा, इसका पता एक महीने के बाद 23 नवंबर को चलेगा। पूर्वी- पश्चिमी जमशेदपुर दोनो विधान सभा सीटों पर प्रमुख प्रतिद्वंदी माने जाने वाले प्रत्याशियों ने पर्चा भरा। भारी संख्या में समर्थकों के साथ फूल मालाओं से लगे प्रत्याशी नामांकन के लिये पहुंच रहे थे। कई बड़े नामों के नामांकन के कारण आज पूर्वाह्न 10 बजे से ही अपराह्न तीन साढे तीन बजे तक उपायुक्त कार्यालय के आसपास की दो-तीन किलोमीटर का क्षेत्र गहमागहमी वाला रहा। हालांकि नामांकन के दौरान अपनों में ही दूरियां भी देखने को मिलीं। कांग्रेस के दोनो प्रत्याशियों जमशेदपुर पश्चिम से बन्ना गुप्ता और पूर्वी से डॉक्टर अजय कुमार ने नामांकन किया इन दोनों के बीच जो 36 का रिश्ता है इसका असर नामांकन के दौरान देखने को मिला। एनडीए में भी कुछ इसी तरह के हालात जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी के प्रत्याशियों के बीच माना जा रहा था लेकिन इसे पाटने का प्रयास हिमंता बिस्वा सरमा की ओर से कियागया।
पूर्णिमा ने छूए सरयू राय के पांव
बोधी मैदान में आयोजित एनडीए सभा के दौरान असम के मुख्यमंत्री एवं झारखंड के सह चुनाव प्रभारी हिेमंता बिस्वा सरमा की मौजूदगी में पूर्वी- पश्चिमी का मिलन कराया गया । पूर्वी की प्रत्याशी उड़ीसा के राज्यपाल रघुवर दास की पुत्रवधु पूर्णिमा दास साहू का जब जमशेदपुर पश्चिम के जदयू प्रत्याशी सरयू राय से आमना सामना हुआ तो सबकी नजर इस मौके पर टिकी थीं। सरयू राय ने हाथ जोडक़र पूर्णिमा दास का अभिवादन किया तो पूर्णिमा दास ने पांव छूकर सरयू राय का आशीर्वाद लिया। पिछले 5 साल जिस तरीके के रिश्ते सरयू राय और रघुवर दास के बीच रहे इसका असर इन दोनों नेताओं से अधिक कार्यकर्ताओं में देखने को मिलता रहा है । इस चुनाव में भी इसका असर दिखेगा, ऐसा आम लोगों का मानना है। हलांकि जैसा कि माना जा रहा है ऊपर से पूर्वी एवं पश्चिमी के प्रत्याशियों पर दबाव है कि वे इस कड़वाटक का असर चुनाव पर नहीं पड़ऩा चाहिए। पहले के तय कार्यक्रम के अनुसार बोधी मैदान में पोटका, जुगसलाई और जमशेदपुर पश्चिमी के प्रत्याशियों का जुटान होना था। जमशेदपुर पूवी की प्रत्याशी पूर्णिमा दास सीधे नामांकन के लिये समाहरणालय पहुंचने वाली थीँ। लेकिन आखिरी समय में कार्यक्रम बदला गया और उनको भी बोधी मैदान बुलाया गया। वहीं सरयू राय से इनकी मुलाकात हुई या कराई गयी और एक संदेश सार्वजनिक तौर पर देने का प्रयास एनडीए की ओर से किया गया।
साल 2019 के मुकाबले बहुत कुछ बदला

साल 2019 के मुकाबले इस चुनाव के नामांकन के समय काफी कुछ बदला बदला सा रहा । 1995 के विधान सभा चुनाव ं के बाद यह पहला अवसर था जब नामांकन के समय जमशेदपुर पूर्वी के प्रत्याशी के तौर पर रघुवर दास नहीं दिखे। यह बात अलग है कि इस विधान सभा की उम्मीवार उनकी ही पुत्रवधू मौजूद रहीं । जमशेदपुर पश्चिम में भी पहली बार भारतीय जनता पार्टी का कोई प्रत्याशी नहीं है। साल 2005 से 2015 तक सरयू राय ने यहां से तीन चुनाव लड़े और दो में जीते। साल 2019 के घटनाक्रम के बाद सरयू राय अब भाजपा के बजाय जदयू प्रत्याशी के तौर पर जमशेदपुर पश्चिम में सरयू राय की वापसी हुई है। लेकिन उनके हाथ में इस बार कमल नहीं होगा। वे सिलेंडर लेकर मतदाताओं के पास पहुंचेंगे। जिले के राजनीतिक इतिहास में भी यह पहला अवसर रहा जब एनडीए गठबंधन की नामांकन करने पहुंचे चार उम्मीदवारों में केवल दो ही भाजपा के रहे। यह भी एक संयोग रहा कि ये दोनों प्रत्याशी महिलाएं हैं । पोटका से मीरा मुंडा और जमशेदपुर पूर्वी से पूर्णिमा दास ने नामांकन किया । जुगसलाई से आजसू कोटा के रामचंद्र सहित और जमशेदपुर पश्चिम से जदयू कोटे के सरयू राय ने नामांकन किया। जमशेदपुर में भाजपा के इतिहास में शायद यह पहला मौका है कि इतनी बड़ी संख्या में बागी उम्मीदवार पूर्वी- पश्चिमी से नजर आ रहे हैं। साल 1995 में जब तत्कालीन विधायक दीनानाथ पांडे का टिकट काटा गया था और रघुवर दास को पूर्वी का प्रत्याशी बनाया गया तो बागी होकर चुनाव लड़े थे। साल 2005 में टिकट कटने पर एमपी सिंह ने भी राजद के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा था। साल 2019 में अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ उनके ही कैबिनेट के मंत्री सरयू राय ने बागी होकर जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ा था। मगर इस बार की बात ही कुछ और है। इस बार भाजपा के दो बड़े चेहरों शिवशंकर सिंह और पूूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह का नाम पूर्वी से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया है। जमशेदपुर पूर्वी में रघुवर दास की पुत्रवधू को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से ही भाजपा के एक बड़े खेमे में नाराजगी है । करीब 15 दिनों तक इस विधानसभा सीट के प्रत्याशी को लेकर अटकलोंं का बाजार गर्म था और नामांकन के समय इसका असर देखने को मिला है ।जमशेदपुर पश्चिम से भी भाजपा के एक बागी उम्मीदवार के तौर पर विकास सिंह मैदान में है ं।

कांग्रेस में बढी खटास

लंबे समय से पूर्वी -पश्चिमी के भाजपा प्रतिनिधियों के बीच पटरी नहीं बैठी। खटास की ही खबरें आती रही हैं। इस बार का समीकरण कुछ इस तरह का है।यहां दूसरे दल के लोगों को हराने के बजाय यह आरोप लगता है कि इन दोनो सीटों के नेता अपनी ही पाटी के उम्मीदवार को हराने में अधिक सक्रिय होते हैं। इस बार कांग्रेस में अभी कुछ इसी तरह के हालात हैं । दोनो प्रत्याशियों बन्ना गुप्ता और डॉ अजय कुमार के बीच देखा देखी नहीं है। आलम यह है कि कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे भी खुलेआम डॉ. अजय कुमार का विरोध कर रहे हैं। आज नामांकन के समय भी उन्होंने डा अजय से दूरी ही बनाये रखी। वे बन्ना गुप्ता के साथ नजर आये।। आनंद बिहारी ने अपने सोशल मीडिया के अकाउंट से कांग्रेस का नाम हटा भी लिया है। एनडीए में जहां दूरी मिटाने का प्रयास किया गया, ऐसा कुछ कांग्रेस के खेमें में नहीं दिखा। एनडीए की सभा में जहां प्रत्याशियों के अलावे भी बड़े नेता थे, ऐसा कुछ कांग्रेस में नहीं था। सबकुछ प्रत्याशियों के ही जिम्मे रहा। आम बगान में कांग्रेस की ओर से सभा आयोजित थी लेकिन दोनो प्रत्याशी अलग अलग पहुंचे। बन्ना गुप्ता के समर्थन में भारी भीड़ थी। शायद आज जितने भी उम्मीवारों ने नामांकन किया, भीड़ के मामले में बन्ना सबपर भारी पड़े। दूसरी ओर डा अजय कुमार अपनी छवि के भरोसे हैं। निडर भी, लीडर भी के नारे के साथ वे लोगों तक पहुंच रहे हैं। जमशेदपुर की दोनो सीटों पर कुछ ऐसे हालात इस बार हैं और नामांकन के साथ यह साफ तौर पर दिखा भी।

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