, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे के निजीकरण को लेकर संसद में उठे सवालों पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को साफ किया कि भारतीय रेलवे का निजीकरण कभी नहीं होगा। रेलवे हर भारतीय की संपत्ति है और उसी की रहेगी। रेल भारत सरकार के पास ही रहेगी। यात्रियों को अच्छी सुविधाएं और रेलवे के जरिये देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए निजी क्षेत्र का निवेश देशहित में होगा। देश तभी उच्च वृद्धि की दिशा में प्रगति और रोजगार के अवसरों का सृजन कर सकता है जब सरकारी व निजी क्षेत्र मिलकर काम करेंगे। रेल मंत्री लोकसभा में रेलवे की अनुदान मांगों पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे।
पीयूष गोयल ने कहा, ‘दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, कई सांसद निजीकरण और कारपोरेटाइजेशन का आरोप लगाते हैं। मैं सभी सांसदों को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय रेल प्राइवेटाइज नहीं होगी और भारत सरकार की ही रहेगी।’ उन्होंने भविष्य की योजना का संकल्प लेते हुए कहा कि आने वाले दिनों में रेलवे पूरी तरह रिन्यूएबल एनर्जी पर निर्भर होगी। वर्ष 2023 तक रेलवे का शत प्रतिशत विद्युतीकरण कर दिया जाएगा। जबकि ज्यादा से ज्यादा स्टेशनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बना दिया जाएगा।
केरल में नहीं हो पाता कोई काम
गोयल ने कहा कि कोविड महामारी से पहले मालगाड़ी की औसत रफ्तार 22-23 या अधिकतम 24 किमी प्रति घंटे होती थी। कोविड के समय योजना बनाकर उस गति को दोगुना कर 45 किमी प्रति घंटे किया गया। ‘कस्टमर इज ¨कग’ को सामने रखकर ग्राहकों के पास जाकर औद्योगिक प्रतिष्ठानों के सामान रेलवे में ढोए जाते हैं। डेडिकेटेड फ्रेट कारिडोर से भविष्य में बंगाल की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। तेज गति से उद्योग आएंगे और वहां विकास होगा। केरल में 2009 से 2014 के बीच जो पैसा निवेश होता था, वो लगभग ढाई गुना कर दिया गया है, लेकिन केरल में काम नही हो पाता क्योंकि जमीन उपलब्ध नहीं कराई जाती।