मुंबई -निर्भया फंड से खऱीदी गाडिय़ों का इस्तेमाल VIP की सुरक्षा में

इस फंड का इस्तेमाल होना है महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए..
नई दिल्ली ,11 दिसंबर : निर्भया फंड के तहत मुंबई पुलिस की खऱीदी गई कई गाडिय़ों का इस्तेमाल इस साल जुलाई में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिव सेना गुट के विधायकों और सांसदों के लिए किया गया. एक अंग्रेजी अखबार में छपी एक ख़बर के मुताबिक़ महिलाओं के खि़लाफ़ हो रहे अपराधों से निपटने के लिए ये गाडिय़ां खऱीदी गई थीं लेकिन इसका इस्तेमाल नेताओं को सुरक्षा देने में किया गया.
अख़बार कहता है कि इस साल जून में मुंबई पुलिस ने 220 बोलेरो और 35 अर्टिगा गाडिय़ां, 313 पल्सर मोटरसाइकल और 200 एक्टिवा स्कूटर खऱीदे थे. इसके लिए निर्भया फंड से 30 करोड़ रुपये निकाले गए. जुलाई में ये गाडिय़ां अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में बाँट दी गईं. महिलाओं के खि़लाफ़ बढ़ रहे अपराधों को देखते हुए केंद्र सरकार ने साल 2013 में महिला सुरक्षा के लिए बनी योजनाओं के कार्यान्वयन को ध्यान में रखते हुए ये राज्यों के लिए फंड बनाया था.
अख़बार लिखता है कि इस साल जुलाई में महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच एकनाथ शिंदे गुट के 40 विधायकों और 12 मंत्रियों को ‘वाई प्लस’ सुरक्षा देने के लिए मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग ने मुबंई पुलिस से 47 बोलेरो देने की गुज़ारिश की.
तुरंत सुरक्षा व्यवस्था करने की ये गुज़ारिश वीआईपी सिक्यॉरिटी विभाग की तरफ़ से की गई थी. जो 47 बोलेरो दिए गए उनमें से 17 वापस आ गईं लेकिन 30 गाडिय़ां अब तक वापस नहीं आई हैं. वाई प्लस स्तर की सुरक्षा में एक गाड़ी के साथ पाँच पुलिसकर्मी व्यक्ति की सेवा में लगाए जाते हैं. ये चौबीसों घंटे ड्यूटी पर रहते हैं.
अख़बार ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से (पुलिस अधिकारी की ग़ुज़ारिश पर नाम ज़ाहिर नहीं किया गया है) कहा है कि जून में नई बोलेरो गाडिय़ां खऱीदने के बाद अलग-अलग पुलिस स्टेशनों को दी गई थीं, ताकि जिन पुलिस स्टेशनों में गाडिय़ों की कमी है, वहाँ इस कारण ज़रूरी काम न रुके.
उन्होंने कहा, शहर के 95 पुलिस स्टेशनों को गाडिय़ां दी गई थीं, संवेदनशील इलाक़ों की पहचान करते हुए कुछ पुलिस स्टेशनों को एक गाड़ी दी गई जबकि कुछ पुलिस स्टेशनों को दो गाडिय़ां दी गई थीं.अख़बार लिखता है कि पुलिस स्टेशनों को गाड़ी दिए जाने के कुछ दिन बाद सुरक्षा में लगाने के लिए इन्हें वापस मांगा गया.
मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग में एक सूत्र के हवाले से अख़बार कहता है कि सुरक्षा के लिए गाडिय़ों की व्यवस्था उन्हें करनी थी जिसके लिए उन्हें अस्थायी तौर पर 30 गाडिय़ां पुलिस स्टेशनों से वापस मांगी. पुलिस स्टेशनों की गुज़ारिश पर कुछ गाडिय़ां वापस मिलीं लेकिन अभी भी कुछ गाडिय़ां नहीं आई हैं.

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