तोक्यो
11-12 साल की उम्र में नीरज चोपड़ा का वजन 80 किलोग्राम हुआ करता था। । गांव में जब वह कुर्ता पहनकर बाहर निकलते तो बच्चे सरपंच कहकर चिढ़ाते थे। बचपन का वही मोटा सरपंच आज दुनिया का सर्वश्रेष्ठ जैवलिन थ्रोअर बन गया। ओलिंपिक में गोल्ड मेडकर जीतकर इतिहास रच दिया। नीरज अब अभिनव बिंद्रा के बाद व्यक्तिगत इवेंट में स्वर्ण जीतने वाले दूसरे हिंदुस्तानी बन गए। 23 साल के नीरज से पहले एथलेटिक्स में कभी भी भारत को कोई ओलिंपिक मेडल नहीं मिला था।
वजन कम करने गए और नया शौक ले आए
हरियाणा की मिट्टी में पले-बढ़े नीरज दूध-घी के शौकीन थे। वजन जब बेकाबू होने लगा तो घरवालों ने जबरदस्ती उन्हें मैदान भेजा। फिटनेस पाने के लिए पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में पहुंचे नीरज कब नया शौक लेकर घर आ गए उन्हें पता भी नहीं चला। मैदान पर उम्र से बड़े लड़कों को भाला फेंकते देखा तो मन में इच्छा जागी। फिटनेस सुधरी तो जैवलीन पर भी हाथ आजमाया। सीनियर्स को उनकी ताकत और नैसर्गिक प्रतिभा पसंद आ गई।
गोल्ड के प्रबल दावेदार थे नीरज
नीरज ने क्वालीफिकेशन राउंड के पहले प्रयास में ही 86.65 मीटर के थ्रो के साथ फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। क्वालीफिकेशन में जिस तरह का प्रदर्शन किया और वह ग्रुप-ए में पहले स्थान पर रहे थे, उसके बाद उनसे सोना लाने की संभावना बढ़ गई थी। नीरज ने जर्मनी के जोहानेस वेटेर को पीछे छोड़ा था जो स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। जोहानेस ने भी हालांकि, 85.64 मीटर का थ्रो कर ऑटोमेटिक क्वालीफिकेशन हासिल किया था। फाइनल में वह एक दौर के बाद ही बाहर हो गए।
मेडल के लिहाज से तोक्यो बना सर्वश्रेष्ठ ओलिंपिक
भारत ने अबतक तोक्यो ओलिंपिक में एक गोल्ड, दो रजत और चार कांस्य सहित कुल सात पदक जीत लिए। नीरज के गोल्ड के अलावा, पीवी सिंधु और मीराबाई चानू ने सिल्वर जीता तो बजरंग पूनिया, रवि दहिया, लवलीना बोरगेहेन और भारतीय मेंस हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता। इससे पहले 2012 लंदन ओलिंपिक में भारत ने छह मेडल अपने नाम किए थे। 60 पुरुष और 23 महिला एथलीटों के साथ कुल 83 एथलीटों के दल ने दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज अपने नाम किए थे। शूटर विजय कुमार और पहलवान सुशील कुमार ने एक-एक सिल्वर, शूटर गगन नारंग और भारतीय शटलर साइना नेहवाल, मुक्केबाज मेरी कॉम और पहलवान योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक जीता था।