सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानें खोलने और बिक्री के लिए लाइसेंस देने पर रोक लगाने के संबंध में निर्देश जारी किया है. कोर्ट ने 20 हजार या उससे कम आबादी वाले स्थानीय निकायों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों के मामले में 500 मीटर की दूरी को घटाकर 220 मीटर कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशानिर्देश जारी किया है. शीर्ष अदालत के आदेशों के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से समय-समय पर आदेश के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. इसके अलावा, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 185 में शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले में कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है. मंत्रालय की ओर से शराब पीकर वाहन चलाने के खतरों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से अभियान चलाया जाता रहा है.
हालांकि, मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे स्थित संपत्तियों तक पहुंच बनाने के लिए डील करती है. राष्ट्रीय राजमार्गों के रास्ते के अधिकार से दूर स्थित संपत्तियों के उपयोग और व्यवसाय चलाने पर इसका कोई नियंत्रण नहीं होता है. ऐसे में सरकार शराब की दुकानों को हटाने पर आंकड़ा एकत्र नहीं करती है, क्योंकि यह राज्य का विषय है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि नेशनल और स्टेट हाइवे के 500 मीटर की परिधि में शराब की दुकानों को बंद किया जाए. इस दायरे में स्थित होटेल्स, रेस्तरां और बार्स में भी शराब परोसने की अनुमति ना दी जाए. न्यायालय ने इस मामले में केवल हिमाचल प्रदेश, मेघालय और सिक्किम को इस फैसले से छूट दी थी, क्योंकि वहां जनसंख्या 20,000 से कम है. इन राज्यों में शराब की दुकानों को हाइवे से 220 मीटर की परिधि से दूर रखा जाए. कोर्ट द्वारा यह फैसला शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण होने वाले हादसों को देखते हुए लिया गया.