ना रात का खाना ठीक से खाया, ना ही सो पाए…. CBI कस्टडी में ऐसे गुजरी संदीप घोष की पहली रात!

कोलकाता कांड में करप्शन केस में आठ दिनों के लिए सीबीआई की हिरासत में भेजे गए आरजी कर मेडिकल कॉलेज के एक्स प्रिंसिपल संदीप घोष पहली रात जेल में बेचैन देखे गए. उनको मंगलवार की रात पूरी तरह से शाकाहारी खाना दिया गया, जिसे बिना इच्छा उन्होंने किसी तरह से खाया और सोने के लिए चले गए. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, वो पूरी रात करवटें बदलते रहे. उन्हें नींद नहीं आई. हालांकि, वो बुरी तरह थके और निराश नजर आ रहे थे.
जानकारी के मुताबिक, डॉक्टर संदीप घोष को सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के कार्यालय निजाम पैलेस में दूसरी एमएसओ बिल्डिंग की 14वीं मंजिल पर लॉकअप में रखा गया है. यहां अंदर और बाहर कुल चार सशस्त्र सीआरपीएफ कर्मी तैनात हैं. डॉ. घोष को कम से कम 7 दिन इसी लॉकअप में बिताने होंगे. इसके बाद उन्हें 10 सितंबर को फिर से अलीपुर कोर्ट में पेश किया जाएगा. इसके बाद कोर्ट उनकी हिरासत के बारे में तय करेगी.

सूत्रों के मुताबिक, “सीबीआई हिरासत में डॉ. संदीप घोष की पहली रात लगभग बिना नींद के बीती है. हो सकता है कि उन्होंने अभी तक अपनी गिरफ़्तारी को स्वीकार न किया हो. इसमें समय लगता है. क्योंकि यह उन लोगों के लिए बिल्कुल विपरीत परिस्थिति है, जिन्होंने कभी थाने या जेल में रात न बिताई हो. गिरफ्तारी के बाद से ही वो थोड़े नर्वस दिख रहे हैं. मंगलवार को कोर्ट से बाहर निकलते समय लोगों का गुस्सा देखकर उनकी घबराहट बढ़ गई है.”

यह बताया जा रहा है कि सोमवार को गिरफ्तार होने के बाद संदीप घोष को रात के खाने में शुद्ध शाकाहारी भोजन दिया गया, क्योंकि उस दिन काली पूजा थी. वो भगवान में विश्वास रखते हैं. अक्सर हर सुबह बालाजी मंदिर जाते हैं, जो कोलकाता के बेलियाघाटा इलाके में उनके घर से महज 50 मीटर की दूरी पर है. इसलिए, उनके अनुरोध पर रात के खाने में पूरी तरह शाकाहारी भोजन दिया गया. लेकिन उन्होंने मन से खाना नहीं खाया था.
मंगलवार को कोर्ट से लौटने के बाद से डॉक्टर घोष बिल्कुल चुप हैं. जांच एजेंसी ने उन्हें शाम से आराम करने के लिए कुछ समय दिया, क्योंकि सोमवार रात को गिरफ्तारी के बाद से कई आधिकारिक प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद वे काफी थक गए थे. रात का खाना खाने के बाद संदीप घोष सोने चले गए, लेकिन वे ठीक से सो नहीं सके. सुबह उनको चाय, बिस्कुट और नाश्ता दिया गया, जिसे उन्होंने ठीक से खाया. बुधवार सुबह फिर से पूछताछ शुरू कर दी गई है.

सीबीआई के तीन अधिकारी संदीप घोष से लगातार पूछताछ कर रहे हैं. बुधवार दोपहर एक घंटे के लंच ब्रेक के बाद फिर से पूछताछ शुरू कर दी गई है. सूत्रों का दावा है कि पूछताछ के दौरान संदीप घोष ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई वित्तीय अनियमितताओं में अपनी संलिप्तता से पूरी तरह इनकार कर दिया है. उनके साथ तीन अन्य आरोपियों बिप्लव सिंह, सुमन हाजरा और अफसर अली खान से भी सीबीआई लगातार पूछताछ कर रही है.

बताते चलें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल रहे संदीप घोष पर उग्र भीड़ ने मंगलवार की शाम हमला बोल दिया. कोर्ट से बाहर निकलते समय एक व्यक्ति ने उनके सिर पर जोरदार थप्पड़ मार दिया. वो सीआरपीएफ और कोलकाता पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच मौजूद थे, इसके बावजूद लोगों उनके खिलाफ आक्रोशित दिखे. उनको देखते ही लोग गंदी-गंदी गालियां देने लगे. लोग उनके लिए चोर-चोर के नारे लगाने लगे.

संदीप घोष को देख आक्रोशित हुई भीड़, शख्स ने जड़ा थप्पड़

मंगलवार को सीबीआई की टीम संदीप घोष को लेकर अलीपुर कोर्ट पहुंची थी. उनके आने से पहले ही वहां बड़ी संख्या लोग जमा हो गए थे. लोग बहुत उग्र और आक्रोशित थे. उनके आते ही कोर्ट परिसर में उनके चारों ओर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. इस भीड़ में वकीलों के साथ आम लोगों का एक बड़ा वर्ग भी शामिल था. कोर्ट रूम के अंदर भी कई लोगों ने संदीप का अपमान किया. इसके बाद उन्हें बाहर ले जाने से पहले कोर्ट परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई.

बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया गया. चूंकि सीआरपीएफ सीबीआई की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है, इसलिए उन्होंने मानव श्रृंखला बनाकर इलाके की घेराबंदी भी की. लेकिन जब सीबीआई संदीप घोष को कोर्ट रूम से बाहर ले गई तो हंगामा शुरू हो गया. सीबीआई उन्हें गाड़ी में बैठा रही थी, तभी एक आदमी थप्पड़ जड़ दिया. उधर, सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद बंगाल सरकार ने डॉक्टर संदीप घोष को निलंबित कर दिया.

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने संदीप घोष के प्रिंसिपल रहने के दौरान संस्थान में कई मामलों में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें अस्पताल में लावारिस शवों की तस्करी, बायो-मेडिकल कचरे के निपटान में भ्रष्टाचार, निर्माण निविदाओं में भाई-भतीजावाद आदि जैसे आरोप लगाए गए थे. इसकी जांच पहले कोलकाता पुलिस कर रही थी. हाई कोर्ट के आदेश पर जांच सीबीआई को सौंप दी गई.

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