एक करोड़ का इनामी नक्सली किशन दा कांड्रा में गिरफ्तार, पुलिस ने कांड्रा टोल ब्रिज पर पत्नी के साथ दबोचा

सारंडा में था दशकों से सक्रिय सात राज्यों को थी तलाश

गम्हरिया।
एक करोड़ के इनामी कुख्यात नक्सली कमांडर प्रशांत बॉस उर्फ किशन दा की गिरफ्तारी कांड्रा-चांडिल मार्ग के गिद्दीबेड़ा टोल ब्रिज के समीप से की गई। बताया गया कि सुबह करीब साढ़े नौ बजे किशन दा अपनी पत्नी शीला मार्डी के साथ चांडिल की ओर जा रहे थे। कांड्रा थाना क्षेत्र में स्थित गिद्दीबेड़ा टोल में टोल टैक्स देने के लिए कुछ पल रुके थे। इसी समय सादे लिवास में पुलिस एवं एसटीएफ के जवानों ने उनकी स्कॉर्पियो संख्या जेएच22सी 2866 से उसे उतारकर दूसरे वाहन में बिठा लिया और सरायकेला की ओर लेकर चले गए। इस पूरे ऑपरेशन में महज कुछ मिनट लगे। बताया गया कि वाहन पर कुल पांच लोग सवार थे। इसमें ड्राइवर के अलावा किशन दा, उनकी पत्नी एक महिला और पांच साल की बच्ची सवार थी। पुलिस ने सभी को दूसरे वाहन में शिफ्ट कर सरायकेला की ओर ले गयी। बताया गया कि किशन दा अपने एवं अपनी पत्नी का इलाज कराने सरायकेला की ओर आये थे। इलाज करा कर वापस लौट रहे थे। यह जानकारी ख़ुफिय़ा विभाग को हो गयी थी। शुक्रवार को सरायकेला से चांडिल तक सादे ड्रेस में पुलिस सडक़ पर जगह जगह मुस्तैद होकर किशन दा की एक्टिविटी पर नजर रखी हुई थी। हलाकि अभी तक पुलिस की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की है।
जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल के 24 परगना स्थित जादवपुर निवासी एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बुढ़ा अपनी पत्नी के साथ गुरुवार की रात एक घर में ठहरा था. प्रशांत बोस काफी बुजुर्ग हो चुका है.
झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश एवं महाराष्ट्र में हिंसा का तांडव मचा चुका प्रशांत बोस को दबोचने की मुहिम में पुलिस,सीआरपीएफ एवं एनआईए के आला अधिकारी से लेकर जवान तक लगे हुए थे. प्रशांत बोस पर बिहार को छोड़ सभी राज्यों में उन पर इनाम घोषित है.
ढाई साल पहले 80 साल के प्रशांत बोस को पक्षाघात का अटैक हुआ था. वह उसके बाद से चलने-फिरने में बिल्कुल असमर्थ हो गयो. जिसके कारण पश्चिम सिंहभूम एवं ओडि़सा में फैले सारंडा जंगल के ‘आजाद क्षेत्र’ में उन्हें ले जाया गया, ताकि सुरक्षित रखा जा सके.
पारसनाथ से सारंडा तक प्रशांत बोस को माओवादी कैडर कई नाम से जानते हैं. संगठन में उसे किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बूढ़ा का नाम मिला है. इससे पूर्व पारसनाथ की पहाडय़िों में रह कर देश के कई हिस्सों में नक्सली घटना को अंजाम देने चुका है।

दो दशकों से पुलिस को दे रहा था चकमा
प्रशांत बोस के पिछले दो दशकों से कभी पारसनाथ की पहाड़ियों, कभी हजारीबाग-बोकारो के झुमरा, कभी सारंडा तो कभी बूढ़ा पहाड़ पर मौजूद होने की सूचना मिलती रही थी। हर बार वह पुलिस को चकमा देने में कामयाब हो जाता था। हर बार वह पुलिस की घेराबंदी से बाहर निकलने में कामयाब रहा था। प्रशांत बोस पश्चिम बंगाल के 24 परगना का रहने वाला है। उसने टुंडी के नावाटांड़ की आदिवासी महिला शीला से विवाह किया था।
एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत बोस पिछले दो दशक से पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा जंगल से लेकर गिरिडीह के पारसनाथ की पहाड़ियों पर अपनी उपस्थिति का हमेशा एहसास कराया. पुलिस को कई बार इन जंगलों में चकमा देकर फरार होने वाले ये नक्सली पुलिस की गिरफ्तार में आ ही गये. सारंडा से लेकर पारसनाथ तक प्रशांत बोस को नक्सलियों कई नाम से जानते हैं.
बुजुर्ग होने के बाद भी है अच्छी पकड़

पुलिस के समक्ष सरेंडर करने वाले 25 लाख का इनामी नक्सली कान्हू मुंडा की मानें, तो प्रशांत बोस उर्फ किशुन दा अब बुजुर्ग हो गये हैं. बुजुर्ग होने के कारण नक्सली संगठन के अन्य सदस्यों द्वारा प्रशांत बोस को पारसनाथ की पहाड़ियों से सारंडा लाया गया था. इस बीच सारंडा क्षेत्र में पुलिस का दबाव बढ़ा, तो संगठन के सदस्य उन्हें सरायकेला-खरसावां क्षेत्र के कुचाई ले गये थे. प्रशांत बोस यहीं से संगठन विस्तार में भी लगे हुए थे.

Share this News...