उपासना मंत्र सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि.
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
नवीं शक्ति ‘सिद्धिदात्री‘ सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं. इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. कमल के आसन पर विराजमान देवी हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं. भक्त इनकी पूजा से यश, बल और धन की प्राप्ति करते हैं. सिद्धिदात्री की पूजा के लिए नवाहन का प्रसाद, नवरस युक्त भोजन तथा नौ प्रकार के फल-फूल आदि का अर्पण करना चाहिए. इस तरह नवरात्र का समापन करने वाले भक्तों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से भक्तों को सम्मोहित करती हैं.