नई दिल्ली दक्षिण-पश्चिम मानसून के इस साल केरल में आगमन में थोड़ी देरी होने की संभावना है. मौसम विभाग कार्यालय ने मंगलवार (16 मई) को एक बयान में कहा कि मानसून के चार जून को दस्तक देने की संभावना है. दक्षिणी राज्य में मानसून पिछले साल 29 मई, 2021 में 3 जून और 2020 में 1 जून को पहुंचा था. आईएमडी (IMD) ने पिछले महीने कहा था कि अल नीनो की स्थिति के बावजूद भारत में मानसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है.
इस साल सामान्य बारिश का अनुमान
इस साल मानसून के सामान्य रहने का अनुमान है। मौसम विभाग ने बीते महीने यह जानकारी दी थी। अगर बारिश सामान्य रहती है तो देश में फूड ग्रेन प्रोडक्शन भी नॉर्मल रहेगा। यानी इससे महंगाई से राहत मिल सकती है। देश में किसान आमतौर पर 1 जून से गर्मियों की फसलों की बुआई शुरू करते हैं। ये वो समय होता है जब मानसून की बारिश भारत पहुंचती है। फसल की बुआई अगस्त की शुरुआत तक जारी रहती है।
किसे कहते हैं सामान्य बारिश?
IMD ने बताया कि लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) की 96% बारिश हो सकती है। यदि बारिश LPA के 90-95% के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम कहा जाता है। LPA 96%-104% हो तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है।
LPA अगर 104% से 110% के बीच है तो इसे सामान्य से ज्यादा बारिश कहते हैं। 110% से ज्यादा को एक्सेस बारिश और 90% से कम बारिश को सूखा पड़ना कहा जाता है।
इकोनॉमी के लिए अच्छी बारिश जरूरी
देश में सालभर जितनी बारिश होती है, उसका 70% पानी दक्षिण-पश्चिम मानसून में बरसता है। अब भी हमारे देश में 70% से 80% किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं। ऐसे में उनकी पैदावार पूरी तरह से मानसून के अच्छे या खराब रहने पर निर्भर करती है। खराब मानसून होने पर महंगाई भी बढ़ती है।
एग्रीकल्चर सेक्टर की भारतीय अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी करीब 20% है। वहीं, देश की आधी आबादी को रोजगार कृषि क्षेत्र ही देता है। अच्छी बारिश का मतलब है कि आधी आबादी की आमदनी फेस्टिव सीजन से पहले अच्छी हो सकती है। जिससे उनकी खर्च करने की क्षमता भी बढ़ेगी।