मोमेंटम झारखंड के दौरान एक दिन में बांट दिए 5 करोड़ के टीशर्ट व टॉफी, हाई कोर्ट ने टेंडर नीति पर किया सवाल,महालेखाकार कार्यालय से पूछा किस नियम के तहत इस आपत्ति को समाप्त कर दिया गया

रांची, झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डाॅ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के शासनकाल में हुए मोमेंटम झारखंड के दौरान टीशर्ट और टॉफी किट खरीद घोटाले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि जब संबंधित मामला अदालत में लंबित है तो सरकार के जवाब पर महालेखाकार कार्यालय द्वारा आपत्तियों को कैसे समाप्त कर दिया गया।
अदालत ने महालेखाकार कार्यालय से पूछा है कि किस नियम के तहत इस आपत्ति को राज्य सरकार के जवाब पर समाप्त कर दिया गया। अदालत ने उक्त नियमावली एक सप्ताह में अदालत में पेश करने का निर्देश महालेखाकार कार्यालय को दिया है। इसके अलावा अदालत ने सरकार को महालेखाकार कार्यालय को भेजे गए जवाब की प्रति भी कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि नवंबर 2020 में महालेखाकार कार्यालय ने सरकार के जवाब पर मोमेंटम झारखंड के दौरान टीशर्ट और टॉफी खरीद पर आपत्ति को समाप्त कर दिया है।
सरकार की ओर से एजी को भेजे गए जवाब में कहा गया है कि उक्त खरीदारी के लिए कैबिनेट से अप्रूवल मिला था। इसके आधार पर मनोनयन के आधार पर ही खरीदारी की गई थी। इस पर अदालत ने सरकार से पूछा है कि क्या सरकार पांच करोड़ का टेंडर मनोनयन के आधार पर दिया जा सकता है। सरकार की टेंडर नीति क्या है। इस मामले में अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी। इस मामले को लेकर पंकज यादव ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।
प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य के स्थापना दिवस पर (15 नवंबर 2016) सरकार ने पांच लाख स्कूली बच्चों के बीच टॉफी और टीशर्ट का वितरण एक ही दिन में कर दिया था। एक दिन में इतने बच्चों को टीशर्ट का वितरण करना संभव नहीं है। वितरण के नाम पर बड़ी राशि का दुरुपयोग किया गया है। इस मामले में महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में आपत्ति जताई थी, लेकिन सरकार के पत्र के बाद एजी ने उक्त आपत्ति को समाप्त कर दिया है।

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