नाबालिग से गैंगरेप मामले में यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को उम्रकैद की सजा

UP की चित्रकूट की महिला से गैंगरेप और उसकी बेटी के साथ दुष्‍कर्म के प्रयास में दोषी ठहराए जाने के बाद पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 2 लाख का जुर्माना भी लगाया है। मामले में 2 अन्य आरोपियों को भी आजीवन कारावास की सजा मिली है।
खबरों के अनुसार, बलात्कार मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के अलावा अशोक तिवारी व आशीष शुक्ला को आजीवन कारावास और दो लाख का जुर्माना। तीनों को धारा 376 डी एवं 5जी/6 पास्को एक्ट में दोषी करार दिया गया है। तीनों दोषियों को जेल से लाकर विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय के सामने पेश किया गया है। 2 दिन पहले (10 नवंबर) ही तीनों को दोषी ठहराया गया था।
पीड़िता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति समेत 7 अभियुक्तों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 2014 में गायत्री के आवास पर उसके साथ गैंगरेप हुआ था। 18 फरवरी, 2017 को थाना गौतमपल्ली (लखनऊ) में गैंगरेप, जान से मारने की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। इस दौरान गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था।
सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति का जलवा हमेशा से बरकरार था। वो जो चाहते थे वही होता। उन्होंने कम समय में करोड़ों की संपत्ति पैदा कर ली थी। यहां तक कि तब के CM अखिलेश यादव की नाराजगी के बाद भी उनको मंत्री पद से नहीं हटाया गया था। गायत्री प्रजापति के तरक्की की रफ्तार अचानक इतनी तेज हुई कि जेल पहुंचकर ठहरी। अब जेल की रोटी खा रहे हैं। आज उन्हें गैंगरेप के आरोप में उम्रकैद हो गई।
इस तरह शुरू किया राजनीतिक सफर
गायत्री प्रसाद प्रजापति की समृद्धि का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। गायत्री के आर्थिक रूप से मजबूत होने का सिलसिला साल 2000 के बाद शुरू हुआ। 1993 में राजनीति से जुड़कर गायत्री प्रजापति 2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आए। 2013 में अखिलेश यादव सरकार में उन्हें सिंचाई राज्यमंत्री बनाया गया। थोड़े दिनों बाद इन्हें खनन विभाग भी दिया गया। बताया जा रहा है कि उनको 3 बार चुनाव हारने के बाद भी टिकट दिया गया।

2016 में खनन विभाग के कैबिनेट मंत्री बने
इसके बाद उन्हें स्वतंत्र प्रभार दिया गया। 2016 में उन्हें खनन विभाग का ही कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। पहली बार मंत्री बनने के साथ ही गायत्री के खिलाफ शिकायतें भी CM कार्यालय तक पहुंचनी शुरू हो गई थी, लेकिन इन्हें नजर अंदाज किया जाता रहा। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के करीबियों में गिने जाने वाले गायत्री ने इसका खूब फायदा उठाया। वह अवैध खनन से होने वाली काली कमाई दोनों हाथों से बंटोरते रहे। गायत्री का रुतबा इतना बढ़ गया कि मंत्रिमंडल में भी लोग उनसे सिफारिशें लगाते थे।

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