MGM Hospital : सरकार कमियों का ठीकरा अस्पताल प्रबंधन पर न फोड़े,सुधार के लिए पूर्व के निर्णयों को लागू करे: सरयू राय

Jamshedpur,13 July : विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य सचिव के कल MGM Hospital के हुए दौरा पर कहा कि असली समस्या सचिवालय में है जहां अस्पताल सुधार के निर्णयों को गतलखाते में डाल दिया जाता है। श्री राय आज दोपहर एमजीएम अस्पताल गए और अधीक्षक, उप अधीक्षक एवं कतिपय अन्य वरीय चिकित्सकों के साथ वार्ता की.उन्होंने कहा कि विगत डेढ़ वर्ष से इंतजार कर रहा था कि विभागीय मंत्री एमजीएम अस्पताल की स्थिति सुधारनेवाला ठोस पहल करेंगे. पर उन्होंने सुधार के नाम पर अस्पताल में अपना एक स्थायी प्रतिनिधि भर तैनात कर छोड़ दिया जो नियमानुकुल नहीं है.

स्वास्थ्य सचिव की कल की एमजीएम यात्रा के पूर्व इस वर्ष जनवरी में स्वास्थ्य सचिव ने एमजीएम का दौरा किया था और जुस्को के साथ अस्पताल के कायाकल्प की योजना बनायी थी। फिर कल स्वास्थ्य सचिव एमजीएम आये और यहाँ की दुर्दशा पर असंतोष एवं नाराजगी जतायी.

वस्तुतः 1986 तक एमजीएम एक अनुमंडलीय अस्पताल था. इसके बाद कॉलेज का अस्पताल बना. अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढ़कर 600 से ऊपर हो गई. पर इमरजेंसी में विस्तर संख्या मात्र 15 रही जिसे बिना अनुमति लिये बढ़ाकर 35 किया गया है. बिस्तर संख्या और इमरजेंसी सुविधा नहीं बढ़ने के कारण वहाँ कुर्सी पर बिठाकर और बेंच पर लेटाकर इलाज करने की नौबत आती है, क्योंकि सरकारी अस्पताल होने के कारण एमजीएम किसी मरीज को लौटा नहीं सकता.

देश में एमजीएम ही मात्र एक ऐसा अस्पताल है जहां एक भी ड्रेसर नियुक्त नहीं है. बिना ड्रेसर के कोई अप्रशिक्षित व्यक्ति यह काम करते रहता है. विधायक ने कहाजनवरी 2019 में उनकी पहल पर एमजीएम की स्थिति सुधारने के लिये मुख्यमंत्री स्तर पर एक बैठक हुई थी. तय हुआ था कि व्यवस्था प्रबंधन कार्य देखने के लिये एमजीएम में एक अधिकारी, मानव संसाधन प्रबंधन के लिये एक अन्य अधिकारी और लेखा-जोखा देखने के लिये एक प्रशिक्षित अधिकारी एमजीएम में बहाल किये जायेंगे. पर आज तक कोई भी ऐसा एक अधिकारी नियुक्त नहीं हुआ.

इसी प्रकार स्किल्ड और अनस्किल्ड कर्मियों की बहाली होनी थी जो नहीं हुई. सफाई कर्मियों एवं सुरक्षा कर्मियों की पर्याप्त संख्या में नियुक्ति नहीं हुई. आवश्यक उपकरण नहीं खरीदे गये. एमजीएम को सुधारने के लिये गत दो वर्ष पूर्व हुए निर्णयों के बारे मैंने जानना चाहा तो पता चला कि ये अब तक लागू नहीं हुए. 2018 में सचिव स्तर पर हुई बैठक के नतीजे भी जस के तस रह गये. कर्मियों की न्यूनतम संख्या का निर्धारण भी सही तरीका से नहीं हुआ. आउटसोर्सिंग से अनस्किल्ड नर्सें बहाल होती हैं और आते जाते रहती हैं. स्थायित्व नहीं है. कम से कम उतने कर्मी तो बहाल करने की अनुमति तो होनी चाहिये जितने पद सृजित हैं.

एमजीएम अस्पताल में घुमते सुअर और जानवर पर तो नजर पड़ जाती है. पर इसपर नजर नहीं पड़ती की एमजीएम अस्पताल की चहारदीवारी कितनी जगह और कितनी लंबाई में टूटी हुई है जो सुअर एवं अन्य जानवरों के घुसने का कारण है.

विधायक श्री राय ने कहा राँची जाकर स्वास्थ्य सचिव के सामने प्रस्ताव रखूँगा कि एमजीएम को ठीक हालत में लाने के लिये पूर्व में राज्य में उच्चतम स्तर पर हुई बैठकों के निर्णयों को लागू करायें. सृजित मानव बल का विश्लेषण करें. अधोसंरचनाओं को सुदृढ़ करायें. कोविड में मिल रहे अनुदान का उपयोग अधोसंरचना बढ़ाने और उपस्करों के साथ ही इनके परिचालकों की व्यवस्था करें. आवश्यक लगे तो इसपर मुख्यमंत्री स्तर की बैठक बुला कर निधि का उपबंध करें.
एमजीएम अस्पताल की स्थिति में सुधार की कुंजी वस्तुतः राज्य सरकार के सचिवालय में है. इसे ठीक किये बिना केवल जमशेदपुर में बैठकर एमजीएम को नहीं सुधारा जा सकता. विधायक ने कहा सरकार इस संबंध में लिये गये निर्णयों को सही संदर्भ में लागू करे और कमियों का ठीकरा अस्पताल प्रबंधन पर फोड़ने के बदले अपने गिरेबान में झांके और देखे कि सुधारों के रास्ते में सचिवालय स्तर से कितने पेंच लगाये जाते हैं. इसे ठीक करे तो छह माह के भीतर एमजीएम अस्पताल में सुधार दिखने लगेगा.

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