Jamshedpur,9 Oct:यहां का MGM अस्पताल पहले से ही कुव्यवस्था एवं कुप्रबंधन के लिये विख्यात है. अब वहाँ भ्रष्टाचार एवं अनियमितता का भी बोलबाला हो गया है. उक्त बातें विधायक सरयू राय ने आज सी एम हेमन्त सोरेन को पत्र लिख कर कही । उन्होंने लिखा है एमजीएम अस्पताल परिसर में हाल ही में बना 100 बेड का मॉड्यूलर आईसीयू भवन का विस्फोट के साथ ढह जाना, इसका जीता-जागता उदाहरण है. इसके निर्माण के दौरान भी वहाँ ऐसा हादसा हुआ था. निर्माण के बाद भी हुआ है. गनीमत है कि इस दौरान वहाँ कोई मरीज भर्ती नहीं था. आगे ऐसा हादसा नहीं हो ,यह सरकार को आश्वस्त करना होगा. यह तभी संभव है जब सरकार इस भवन के निर्माण की जाँच थर्ड पार्टी तकनीकी विशेषज्ञों से कराये ,ताकि निर्माण के दौरान हुई अनियमितताओं का पता चल सके. प्रथमदृष्ट्या प्रतीत होता है कि इस ढाँचा के निर्माण में घपला हुआ है, घटिया सामग्रियों का इस्तेमाल हुआ है. श्री राय ने कहा है कि बीमारी से निजात पाकर स्वस्थ होने के लिये अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के जान की हिफाजत सरकार की पहली प्राथमिकता है. इसे देखते हुए इस भवन के ढाँचा के निर्माण के तकनीकी, वित्तीय एवं अन्य विविध पहलुओं की जाँच उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह से कराई जाए.
एमजीएम अस्पताल में मरीजों को पौष्टिक आहार देने के लिये हाल ही में इस मद में होने वाला व्यय ₹50 प्रति मरीज से बढ़ाकर ₹100 प्रति मरीज किया गया है. भोजन सामग्री की गुणवत्ता में सुधार हुआ तो इसका सभी ने स्वागत किया और हर्ष व्यक्त किया. अस्पताल प्रबंधन की प्रशंसा में इस बारे में समाचार पत्रों एवं इलेक्ट्रॉनिक मिडिया में खबरें भी छपीं. पर इसके थोड़े ही दिन बाद अस्पताल के अन्दरूनी सूत्रों से खबरें आने लगी हैं कि मरीजों की भोजन व्यवस्था बदतर हो गई है. भोजन का स्तर घटिया हो गया है. इसे लेकर मरीजों एवं उनके परिजनों में असंतोष एवं रोष व्याप्त है. यह एक गंभीर विषय है. इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिये. इसकी जांच होनी चाहिये कि मरीजों का भोजन व्यय दोगुना हो जाने के बावजूद भोजन का स्तर घटिया कैसे हो गया है ?
उल्लेखनीय है कि एमजीएम अस्पताल के नियमों एवं परम्परा में कोई प्रावधान नहीं होने के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री के एक निजी प्रतिनिधि अस्पताल में प्रतिनियुक्त हैं. अस्पताल अधीक्षक के कक्ष के सामने उनके बैठने के लिये एक बड़ा कक्ष आवंटित किया गया है. बताया जाता है कि वहाँ से वे अपने हिसाब से अस्पताल की गतिविधियों और मरीजों की सुविधा/असुविधा की निगरानी करते रहते हैं. इसके बावजूद यदि अस्पताल में निर्माण का काम घटिया हो रहा है और मरीजों की भोजन आदि सुविधाएँ बदतर हो गई हैं तो यह आश्चर्यजनक है. इसकी जवाबदेही आखिर कौन उठायेगा ?
उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह की जाँच से ही इसका खुलासा हो पायेगा कि एमजीएम अस्पताल की वर्तमान कुव्यवस्था के लिये जिम्मेदार एमजीएम प्रबंधन की लापरवाही है, प्रबंधन के कार्यों में परोक्ष-प्रत्यक्ष, वांछित-अवांछित हस्तक्षेप है या एमजीएम व्यवस्था पर थोपा गया भ्रष्टाचार है?