धार्मिक आस्था
भारत विविध रूपों व धर्मों का देश है और पूरे विश्व में आस्था की मिसाल है। पूरे दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां गौमाता, नदियों को मां की संज्ञा दी गई है, यहां पेड़ पौधों को देव देवी के रूप मानकर पूजा जाता है, यहां जहरीले सांप, शेर, बंदर, कबूतर, उल्लू, बतख आदि जीव जंतुओं की भी पूजा की जाती है। यहां सनातन धर्म में विघ्नहर्ता गणेश, सृष्टिकर्ता ब्रह्मा, पालनकर्ता विष्णु, संहारकर्ता शिव, शक्ति की देवी महामाया दुर्गा व माता महाकाली, धन वैभव की देवी लक्ष्मी, विद्या की देवी सरस्वती, संकटमोचन पवनपुत्र हनुमान, शीतला माता, सर्पो की देवी शिव जी की मानस कन्या मां मनसा देवी आदि 33 कोटी (प्रकार) के देवी देवताओं आस्था, श्रद्धा, भक्ति के साथ पूजा अर्चना की जाती है। जिसमें सर्पों की देवी मां मनसा देवी की पूजा अर्चना झारखंड व पश्चिम बंगाल में बंगला पंचांग के सावन संक्रांति से आश्विन संक्रांति तक दो महीने मंदिर व घर में वैदिक व पारंपरिक तरीके से की जाती है। दो महीने तक ग्रामीण क्षेत्रों में मां मनसा देवी की पूजा की धूम रहती है। पूजा में आश्चर्यजनक तथ्य देखा जाता है। पूजा के पूर्व श्रद्धालुओं द्वारा तालाब, नदी आदि से घट लाकर मंदिर में स्थापित की जाती है। इस दौरान मां मनसा देवी के भक्तों द्वारा जीवित जहरीले सांपों से एक विशेष प्रकार की खेल ‘झांपान’ किया जाता है। इस खेल में भक्तों द्वारा जान का जोखिम उठाते हुए जहरीले सांपों को अपने शरीर के गला, बाहों आदि अंगों में लपेट कर रखा जाता है। जिसमें सांप के डंसने से मृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।
गांव व घरों में चल रहा मां मनसा देवी की पूजा का दौर
सावन संक्रांति से मां मनसा देवी की पूजा का दौर चल रहा है। शुक्रवार की रात नीमडीह प्रखंड मुख्यालय रघुनाथपुर, बिशरडीह आदि गांव में वैदिक व पारंपरिक रूप से मां मनसा देवी का पूजा अर्चना की गई। इस दौरान पुरूष व महिला श्रद्धालुओं ने देवी की पूजा अर्चना कर घर में सुख शांति का प्रार्थना की। शनिवार की प्रातः बतख, पांठा का बलि प्रथा का अनुपालन किया गया।