जेलों की दशा को देखते हुए बेल और रिमांड के आदेश दें न्यायिक अधिकारी
मेकेनिकल नहीं जुडिसियल माइंड का अधिकाधिक प्रयोग हो
जमानत और रिमांड के न्याय शास्त्र पर रिजनल कांफ्रेंस
CJM निशांत कुमार और civil जज चंद्रभानु की बेहतर प्रबंध प्रस्तुति
Jamshedpur, 8 अक्टूबर: झारखंड उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश CJ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि हमारा प्रमुख उद्देश्य किसी अभियुक्त की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करते हुए कोई न्यायिक आदेश जारी करना होना चाहिये। वे आज लोयला स्कूल के प्रेक्षागृह में जुडिसियल एकेडमी झारखंड और जमशेदपुर सिविल कोर्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक रिजनल कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि के रुप में बोल रहे थे। श्री मिश्रा दिल्ली में होने के चलते सशरीर नहीं आ पाये। उन्होंने वर्चुअल मोड में कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं। यह कांफ्रेंस जमशेदपुर , सरायकेला खरसांवा, चाईबासा तथा घाटशिला और चांडिल अनुमंडल के क्षेत्राधिकार में आयोजित किया गया था।
श्री मिश्रा ने कांफ्रेंस में आये सभी न्यायिक अधिकारियों , खासकर पुलिस पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे जेलों का भ्रमण जरुर करें। तब उन्हें बेल और जुडिसियल रिमांड का कोई भी आदेश जारी करने या अभियाचित करने की मन:स्थिति पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड में जेलों का भ्रमण करते रहते हैं। वहां की दशा ऐसी है कि क्षमता से तीन गुणा अधिक बंदी या कैदी रखे गये हैं। हर अभियुक्त की अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता होती है जिसे बहुत व्यापक दायरे में लिया जाना चाहिये और उसे सीमित करने के पहले ऐसा करना आवश्यक है या नहीं, इसपर विचार कर लेना चाहिये।न्यायिक अधिकारियों को अपने अधिकार क्षेत्र में जमानत देने से कोई परहेज नहीं करना चाहिये। सेक्सन 41 में जब किसी अभियुक्त को नोटिस देकर बुलाया जाता हो और वह अनुसंधान में सहयोग करता हो तो उसपर गिरफ्तारी या रिमांड का आदेश देना कितना समुचित है, इसपर भी विचार होना चाहिये। उन्होंने एनडीपीएस और पाक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में भी अनुसंधान के लिये स्थापित सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने की बात पर जोर दिया। उन्होंने एक 18 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी और 20-22 साल के लडक़े के डेटिंग के मामले में दर्ज पोक्सो एक्ट का दिलचस्प उदाहरण भी पेश किया और कहा कि अगर बहुत कुछ अज्ञानता या बुरी नीयत से नहीं होता हो तो कोई भी निर्मण देने के पहले सावधानी रखनी चाहिये। समाज में हर व्यक्ति की शांति और उसके अधिकार की रक्षा हमारा प्राथमिक कर्तव्य होता है।
रिमांड और बेल पर कानूनी अवधारणा के प्रमुख बिन्दुओं पर आयोजित इस कांफ्रेंस का उद्घाटन दीप प्रज्जवलित कर विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति और हार्ई कोर्ट के जज सुजीत नारायण प्रसाद ने किया। उनके साथ हार्ई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति रत्नाकर भेंगड़ा, न्यायमूर्ति दीपक रौशन,न्यायधीश हाईकोर्ट अम्बुज नाथ, सिविल कोर्ट जमशेदपुर केप्रधान जिला जज अनिल कुमार मिश्रा, निदेशक जुडीशियल एकैडमी रांची सुधांशू कुमार शशि, जमशेदपुर बार एसोसिएशन तदर्थ समिति के अध्यक्ष अजीत कुमार अम्बष्ट उपस्थित थे। न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को कोर्ट में बैठते समय मेकेनिकल आर्डर की जगह जुडिसियल माइंड अप्लाइ करते हुए ही कोई आदेश करना चाहिये। उन्होंने भी किसी अभियुक्त को रिमांड करने के पूर्व जेल की दशा का भ्रमण करके आने की सलाह दी। श्री प्रसाद ने विशय प्रवेश किया, जबकि न्यायमूर्ति रत्नाकर भेंगरा ने स्वागत भाषण दिया। उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन न्यायमूर्ति दीपक रौशन ने दिया। उद्घाटन सत्र के बाद तीन तकनीकी सत्रों में पाक्सो, एनडीपीएस और बेल तथा रिमांड विषय पर चर्चा हुई और उम्मीद की गई कि इन चर्चाओं का सकारात्मक असर समाज में आयेगा। इस कांफ्रेंस में प्रो एक्टिव हेल्थ ट्र्स्ट बेंगलुरु की निदेशक कुशी कुशलप्पा भी वर्चुअल मोड में जुड़ीं जबकि हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा के पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा जे एन वरोवालिया ने एनडीपीएस मामलों से जुड़े विषय पर वक्तव्य दिये। चाईबासा के प्रधान जिला सत्र न्यायाधीश विश्वनाथ शुक्ला ने समापन भाषण दिया।
इस कांफ्रेंस के लिये लोयोला स्कूल ने अपना सुसज्जित प्रेक्षागृह उपलब्ध कराया था। लोयोला के प्राचार्य फादर विनोद फर्नांडीस सहित स्कूल प्रबंध समिति के वरीय पदाधिकारियों ने सभी आमंत्रित न्यायमूर्तियों को मोमेंटो प्रदान किये। लोयोला मिडिल स्कूल के छात्रों ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। झारखंड बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन राजेश कुमार शुक्ल भी विशिष्ट तौर पर आमंत्रित थे। पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री और वरीय आरक्षी अधीक्षक किशोर कौशल, पूर्व लोक अभियोजक जय प्रकाश भी उपस्थित रहे। कांफ्रेंस में विभिन्न लॉ कालेजों के छात्र, लोयोला के विद्यार्थी पुलिस पदाधिकारी और इस क्षेत्र के अधिवक्तागण शामिल हुए। पूरे् कार्यक्रम में अतिथियों के आवाभगत और व्यवस्था संचालन में जमशेदुपर के माननीय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी निशांत कुमार और सिविल जज सीनियर डिवीजन चंद्रभानु सक्रिय रहे। उद्घाटन सत्र का संचालन न्यायिक दंडाधिकारीद्वय एकता सक्सेना और ज्योत्सना पाण्डेय ने खूबसूरत ढंग से किया।