जमशेदपुर 15 दिसंबर
धालभूम क्लब साकची में स्व .डी एन उपाध्याय की स्मृति में सारस्वत श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में ” ध्रुव- एक दिव्यात्मा का आलोकवरण ” स्मृति ग्रंथ का भी लोकार्पण किया गया.इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली के लोकायुक्त हरीश चंद्र मिश्रा , विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति चंद्रशेखर सिंह, झारखण्ड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपक रौशन, न्यायमूर्ति राजेश कुमार, झारखण्ड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश सिंह, खूंटी के जिला जज संजय कुमार और उद्घाटनकर्ता विधायक सरयू राय उपस्थित थे. मुख्य अतिथि दिल्ली के लोकायुक्त हरीश चंद्र मिश्र दिवंगत डी एन उपाध्याय को याद करते हुए भावुक हो गए और रोने लगे….उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी महिलाओं का बहुत सम्मान करते थे.लोकायुक्त के रुप में उनको बहुत काम करने बाकी थे…उन्होंने दिवंगत न्यायमूर्ति ध्रुव नारायण उपाध्याय को याद करते हुए कहा कि कोरोना ने दोनों के परिवारों को प्रभावित किया और अंतत: उपाध्याय जी जिंदगी की जंग हार गए.अंतिम दर्शन न कर पाने का मलाल है मगर उनकी यादें हर क्षण मौजूद हैं.
कानून का जितना पालन होना चाहिये, उससे अधिक उसकी अवहेलना हो रही है- सरयूु राय
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विधायक सरयू राय ने कहा कि सत्ता के दो अंग विधायिका और न्यायपालिका इस तरह घुल मिल गए हैं कि कौन किसको प्रभावित कर रहा है और कौन किसको नियंत्रित कर रहा समझ नहीं आता है. समाज पर इसका क्या असर पड़ रहा है यह सोचने का विषय है। कानून के प्रावधान दूरगामी कम, अल्प में उसके प्रभाव अधिक दिखते हैं। आज भी लोगों को न्यायालय से उम्मीदें हैं मगर न्यायालय मुकदमों के बोझ से लदी हैं.हालांकि आज मौका दूसरा है फिर भी ये बातें कह रहा हूं.ऐसे मुद्दों पर बेबाक राय से कुछ बदलाव की कोशिश होनी चाहिए. श्री राय ने कहा कि दिवंगत न्यायमूर्ति डी एन उपाध्याय भी बदलाव की कोशिशों पर जोर देते थे. श्री राय ने कहा कि संविधान के प्रावधान को लोकतंत्र के तीनो अंगों की कसौटी पर देखें तो वह निराशाजनक हैं। कानून का जितना पालन होना चाहिये, उससे अधिक उसकी अवहेलना होती है।
इस मौके पर मुख्य वक्ता न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि दिवंगत न्यायमूर्ति डी एन उपाध्याय एक ऐसे कर्मठ इंसान थे कि वे अपना हर काम पूरी शिद्दत से करते थे.वे अपने जूनियर्स से हमेशा उनकी समस्याओं के बारे में पूछते रहते थे.लोकायुक्त रहते कई बदलाव वे चाहते थे जिसको अमल में लाकर उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है. उनका कहना था कि व्यक्ति नहीं संस्था बड़ी होती है।
राज्य भर के अधिवक्ताओं की तरफ से राजेश कुमार शुक्ल ने दिवंगत न्यायमूर्ति डी एन उपाध्याय को श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कुछ पुरानी बातें साझा की.वहीं नमन के संस्थापक अमरप्रीत सिंह काले ने कहा कि बीमार होने के बावजूद उनके हौसले में कोई कमी नहीं थी.आज वे भले ही भौतिक रुप से उपस्थित नहीं लेकिन उनकी यादें सबके दिलों में जीवित रहेगी.
विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर ने कहा कि दिवंगत न्यायमूर्ति दिवंगत डी एन उपाध्याय को भुलाना मुश्किल है.न्याय के क्रम में क ई बार सच जानना मुश्किल हो जाता है, ऐसे में एक बार अपनी उलझन दिवंगत उपाध्याय जी से साझा की तो उन्होंने स्वविवेक से चलने और अंतर्रात्मा की बात सुनने की सलाह दी.ये बातें ताउम्र याद रहेंगी.
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश सिंह ने दिवंगत न्यायमूर्ति डी एन उपाध्याय को याद करते हुए कहा कि वे पीठ पीछे मेरी प्रशंसा किया करते थे जो बहुत याद आती है.वे एक मजबूत और निर्भीक इंसान थे.वे कठोर वाणी का प्रयोग करने से नहीं हिचकते थे..
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन, एवं डी. एन .उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण के साथ किया गया. आगंतुकों का स्वागत भाषण उनकी पुत्री शुचि ने किया.। इस दौरान वे काफी भावुक हो गईं। स्व उपाध्याय की धर्मपत्नी श्रीमती ऐंजिल उपाध्याय ने अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए एक भावपूर्ण कविता ‘तुम ठीक तो हो’ सुनाई जिसको सुनकर सब द्रवित हो गए.इस पुस्तक में कुल 66 आलेख हैं जो साहित्यकारों ,परिचितों के द्वारा दिए गए हैं.शिक्षक कुमार अमलेंदु ने दिवंगत डी एन उपाध्याय पर लिखित पुस्तक के बारे में लोगों को जानकारी देते हुए बताया कि इसमें दिवंगत उपाध्याय जी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को अनेकों आलेखों के माध्यम से दर्शाया गया है.
कार्यक्रम का समापन उनके पुत्र निशांत के धन्यवाद ज्ञापन एवं स्वरूचि भोज के साथ हुआ.
कार्यक्रम का संचालन शिशिर कुमार कौशिक ने किया.
समारोह में राजेश कुमार शुक्ल और अमरप्रीत सिंह काले खास तौर पर उपस्थित रहे.कार्यक्रम के आयोजन में डॉ.रागिनी भूषण और अनीता शर्मा की महती भूमिका रही।