लाल बाबा फाउंड्री इलाके में बुलडोज़र और पॉकलेन चला कर वहां स्थित स्ट्रक्चर को हटाने और टाटा स्टील को जमीन का कब्ज़ा दिलाने का मामला न्यायिक प्रक्रिया में अभी बहस के अधीन है और उम्मीद की जाती है कि मामले की सुनवाई कर रहे मुंसिफ कोर्ट द्वारा शाम तक कोई संशोधित आदेश आए या पुराने आदेश को ही लागू करने की बात की जाय, लेकिन इस बीच इलाके में आक्रोश और जन विरोध की गर्माहट फैली हुई है. चुनावी समय ने जन असंतोष को और बल दे दिया है जब प्रायः सभी दलों के लोग वहां पहुँच रहे हैं.
समझ नहीं आ रहा कि प्रशासन ने भी हालांकि औपचारिकता पूरी करने की ही तैयारी क्यों कि है जब वहां माहौल अति गर्म है और असंख्य लोग विरोध में सड़कों पर उतरे हुए हैं. बर्मा माइंस थाने में दो वज्र वाहन और लगभग 5 पॉकलेन लाया गया है. दंडाधिकारी लगभग डेढ़ बजे पहुंचे. अगर कोर्ट का आदेश स्पष्ट है तब इस तरह भारी जन विरोध के बीच शायद ही उसका क्रियान्वयन हो सकता हो, फिर इस तरह इलाके को अशांत क्यों होने दिया जा रहा?
मामले में जनता के एक पक्षकार अधिवक्ता अंशुमान चौधरी लालटू दादा ने बताया कि मुंसिफ कोर्ट में अभी बहस पूरी हुई क्योंकि कोलकाता हाई कोर्ट की डिग्री को एग्जीक्यूट करने के इस मामले में आदेश त्रुटिपूर्ण है. टाटा फाउंड्री को प्रदत 1958-59 में दिए गए लीज को ऑक्शन में जमीन समेत लाल बाबा ट्यूब कंपनी द्वारा ख़रीदे जाने का यह विवादित मामला था जिसमें कोलकाता हाई कोर्ट ने टाटा स्टील जमीन के बाबत डिग्री दी और उस डिग्री में जो प्लाट न दिया गया वह मुंसिफ कोर्ट में आकर कैसे अन्य प्लाट के साथ जुड़ गया, इसमें कोई चौहद्दी भी नहीं… ऐसी अनेक त्रुटियों को लेकर आज मुंसिफ कोर्ट में बहस की गयी की आदेश को स्थगित किया जाय.
फिलहाल इलाके में लोग अपना कारोबार और रोजगार चलाते हैं. इस तरह कथित अपूर्ण और त्रुटि पूर्ण आदेश को स्थगित कर वस्तुस्थिति के अनुकूल आदेश आने की प्रतीक्षा करने की मांग जिला प्रशासन और अदालत से की जा रही है. इस तरह त्रुटिपूर्ण आदेश के क्रियान्वयन से लोगों को जीवन में उनकी भरपाई नहीं होने वाली ( इररिपेयरबल ) क्षति हो सकती है और शहर में अशांति का माहौल पैदा हो सकता है