नई दिल्ली, आने वाले कुछ महीनों में चारों श्रम संहिताएं लागू हो जाने की संभावना है। केंद्र सरकार इन लेबर कोड्स को अमली जामा पहनाने की तैयारी कर रही है। इन संहिताओं के लागू होने से कर्मचारियों का इन-हैंड वेतन घट जाएगा। साथ ही कंपनियों को कर्मचारियों के पीएफ फंड में अधिक योगदान करना पड़ेगा। इन कानूनों के लागू होने से कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, भत्तों और पीएफ योगदान की गणना में बड़ा बदलाव आएगा।
इन 4 लेबर कोड्स में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं। श्रम मंत्रालय ने पहले इन लेबर कोड्स को नए वित्त वर्ष अर्थात एक अप्रैल 2021 से लागू करने की परिकल्पना की थी। लेकिन फिर इसे टाल दिया गया, जिससे नियोक्ताओं को नए वेज कोड के अनुसार, अपने कर्मचारियों की सैलरी का पुनर्गठन करने के लिए अधिक समय मिल गया।
मंत्रालय ने इन चारों संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप भी दे दिया था। लेकिन इनका क्रियान्वयन नहीं हो सका, क्योंकि कई राज्य अपने यहां संहिताओं के तहत इन नियमों को लागू करने की स्थिति में नहीं थे। यहां बता दें कि भारत के संविधान के तहत श्रम एक समवर्ती विषय है। इसका मतलब यह है कि इन चारों संहिताओं के तहत केंद्र व राज्य दोनों को इन नियमों को अधिसूचित करना होगा, तभी संबंधित राज्यों में ये कानून प्रभावी होंगे।