जमशेदपुर : रथयात्रा के पावन दिन पर बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इस संबंध में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भेजे गये पत्र में लिखा है कि यह निर्णय उन्होंने गहन चिंतन और आत्ममंथन के उपरांत लिया है. इस्तीफा की प्रतिलिपि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष तथा प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह को भी भेजी है.
पत्र में उन्होंने अपनी पीड़ा बताते हुए लिखा है कि गत कई माह से वे महसूस कर रहे हैं कि जिले की बुनियादी समस्याओं से जुड़े विषयों और संगठनात्मक विषयों को पार्टी पदाधिकारियों के संज्ञान में लाने के बावजूद उदासीनता बरती जा रही है. यही नहीं, कुछ दिनों पूर्व पार्टी प्रवक्ता के पद से इस्तीफा देने के बाद उम्मीद जगी थी कि उनके द्वारा रखे गये विषयों पर पार्टी संज्ञान लेगी, लेकिन दु:खद पहलू यह है कि स्थिति आज भी वैसी ही है.
मालूम हो कि गत लोकसभा चुनाव वे खुद को संभावित प्रत्याशी मान बैठे थे. उनकी इच्छा थी कि पार्टी लगातार दो बार के ‘सीटिंग एमपी’ विद्युत महतो की टिकट काटकर उन्हें टिकट थमा दे, लेकिन पार्टी ने पुन: विद्युत पर ही भरोसा जताया और उन्होंने इंडी गठबंधन प्रत्याशी समीर महंती (बहरागोड़ा के झामुमो विधायक) को लगभग 2.60 लाख मतों से पराजित किया. इससे खफा होकर कुणाल ने जिले में मतदान छह दिन पूर्व, 19 मई को पार्टी प्रवक्ता से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद सोशल साइटों पर अपने ‘पुराना घर’ झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रति लगाव को देखते हुए यह कयास लगाये जा रहे थे कि वे जल्द ही भाजपा को ‘बाय-बाय’ करनेवाले हैं. बताया जाता है कि चुनाव के दौरान ही उनके झामुमों में जाकर टिकट पाने का प्लेटफॉर्म लगभग तैयार हो चुका था, लेकिन ऐन वक्त पर बात लीक हो गई, जिसके बाद योजना को कुछ दिनों के लिये टाल दिया गया था. कुछ दिनों पूर्व कुणाल तत्कालीन मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से मिलकर ई समस्याओं के प्रति उनका ध्यान आकृष्ट किया था. उसके बाद भी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था. बताया जाता है कि उस वक्त चंपाई सोरेन से कई मुद्दों पर वार्ता के बाद पार्टी में शामिल होने पर भी चर्चा हुई थी.