Kolhan VC Prof Panda: उत्तरप्रदेश में कुलसचिव रहते फर्जी डिग्री जारी होने का मामला: एस आई टी जांच में फंसे : कहा -11 साल पुराना मामला , बदनाम करने की हो सकती है चाल

Jamshedpur,16 March: कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गंगाधर पांडा पर उत्तरप्रदेश के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से फर्जी डिग्री जारी होने के प्रकरण में विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्णय वहां की सरकार ने लिया है। उत्तरप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव मनोज कुमार ने इस मामले में कई गयी एस आई टी की जांच के रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि अनुचित लाभ और निजी हितों के लिए डिग्रियों का फर्जी ढंग से सत्यापन किया गया और परीक्षा विभाग के अभिलेखों में हेराफेरी, जालसाजी और कूट रचना की गई।
इधर कुलपति प्रो पांडा ने चमकता आईना को पूछने पर बताया कि वे वहां प्रोफेसर थे और कुछ अन्य पद का दायित्व भी उनके जिम्मे था। यह मामला 11 साल पहले हुआ। जिस सत्यापन की बात की जा रही है उसका एक सिस्टम था जैसे किसी बैंक से लोन लेने और ग्राउंड रिपोर्ट लेकर जांच करने का होता है। कुल सचिव के नाते मेरे अधीन नीचे 5 स्तर पर बाबू और पदाधिकारियों को को ऑर्डिनेट करना और विषय को परीक्षा समिति के चेयरमैन जो कुलपति होते हैं ,उन तक पहुंचाना था। मैंने अपना काम उचित ढंग से बखूबी निभाया ।इस मामले में 2 लिपिक गिरफ्तार होकर जेल भी भेजे गए थे। मेरे विषय में अगर कुछ मामला बना है तो उस विषय में मुझे कोई सूचना नहीं दी गयी है। अगर मेरे पास कुछ आरोप या कार्रवाई की सूचना आएगी तब मैं उसका जवाब दे दूंगा।
फिलहाल प्रो पांडा को लगता है कुछ लोग बदनाम करने के लिए पीछे पड़े हैं।उन्होंने कहा अकेला आदमी सभी को खुश नहीं कर सकता।उन्होंने कहा मैं अपना ध्यान कोल्हान विश्वविद्यालय के उत्थान पर लगा रहा हूँ।कुछ बीएड छात्रों की मांग सेमेस्टर फीस माफ कराने की हो रही है जबकि यह कोर्स सेल्फ फाइनेंसिंग स्कीम के तहत चलता है। कोरोना में एक बार फीस माफ किया जा चुका है, तथापि प्राध्यापकों की बैठक बुलाकर समाधान निकालने का प्रयास कर रहा हूँ।16 अध्यापकों की नियुक्ति लंबे अरसे बाद विश्वविद्यालय में हुई है। कई विकासमूलक योजनाओं पर वे काम कर रहे हैं। प्रो पांडा को लगता है इस बीच यह मामला उठाकर उनका ध्यान तोड़ने की कोशिश हो रही है।
उत्तरप्रदेश से आई खबर में बताया गया है कि एस आई टी जांच में 19 लोगों की संलिप्तता सामने आई। इनमें कुलसचिव रह चुके तीन वरिष्ठ प्रोफेसर व अधिकारी तथा 10 कर्मचारी हैं। दो प्रोफेसर इन दिनों दो विश्वविद्यालयों में कुलपति हैं। प्रो रजनीश शुक्ला अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय , वर्धा और प्रोफेसर गंगाधर पांडा कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के कुलपति हैं।ये प्रोफ़ेसर कुछ समय के लिए कुल सचिव और परीक्षा नियंत्रक बने थे। कई अधिकारी इस समय दूसरे विश्वविद्यालयों में कार्यरत हैं। बताया जाता है कि बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक भर्ती में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों का भारी संख्या में उपयोग हुआ था। भनक लगने के बाद शासन ने इस मामले की एस आई टी जांच कराई जिसमे प्रो पांडा समेत उक्त अन्य लोगों को कथित फर्जीगिरी के लिए दोषी बताया गया है।

Share this News...