चांडिल : दलमा व आसपास क्षेत्रों में असंख्य मनोरम दृश्य है। डॉ0 महेंद्र भटनागर के लिखित कविता को चरितार्थ करती है दलमा पर्वत श्रृंखला तथा पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम व सरायकेला खरसावां जिला के सैकड़ों मनोरम स्थल। दिन में अगर आप दलमा पर्वत के चोटी से चारों दिशाओं में नजर दौड़ायेंगे तो हरी भरी वादियां, नीला जल के छोटी छोटी झील, सर्पिणी जैसे बलखाती नदियां और झरने स्वप्नलोक का एहसास दिलाती है। रात में जमशेदपुर शहर पर नजर डालने से टिमटिमाते तारों की मदहोश दुनिया में पहुंचने जैसा अनुभव होगा। डॉ0 महेंद्र भटनागर के लिखित कविता ”ये घोर तिमिर के चिर-सहचर ! खिलता जब उज्ज्वल नव-प्रभात, मिट जाती है जब मलिन रात, ये भी अपना डेरा लेकर चल देते मौन कहीं सत्वर ! ये घोर-तिमिर के चिर-सहचर !
मादक संध्या को देख निकट जब चंद्र निकलता अमर अमिट, ये भी आ जाते लुक-छिप कर जो लुप्त रहे नभ में दिन भर! ये घोर तिमिर के चिर-सहचर ! होता जिस दिन सघन अंधेरा अगणित तारों ने नभ घेरा, ये चाहा करते राका के मिटने का बुझने का अवसर ! ये घोर-तिमिर के चिर-सहचर !
ज्योति-अंधेरे का स्नेह-मिलन,
बतलाता सुख-दुखमय जीवन,
उत्थान-पतन औ’ अश्रु-हास से मिल बनता जीवन सुखकर! ये घोर-तिमिर के चिर-सहचर !” को चरितार्थ करती है तीनों जिला के कुदरती दृश्य।
कोल्हान के पवित्र और वीर माटी अपने गर्भ में सैकड़ों ऐतिहासिक एवं धार्मिक घटनाओं को समेट रखा है। स्वाधीनता संग्राम के क्षेत्र, संग्रामियों की सूची व उनके निवास स्थान, शहीद स्थल और धार्मिक स्थलों के रूप में जिनके प्रमाण आज भी मौजूद है। इन क्षेत्रों को भी पर्यटन स्थलों के रूप में विकास किया जा सकता है।